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लाखों साल पहले भी थे पीपल, नारियल और केले के पेड़’

खोजकर्ताओं के एक समूह ने जैविक इतिहास की परतें उघाड़ते हुए पश्चिमी मध्यप्रदेश में पीपल, केले और नारियल के पत्तों के जीवाश्म ढूंढ निकालने का दावा किया है.

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खोजकर्ताओं के एक समूह ने जैविक इतिहास की परतें उघाड़ते हुए पश्चिमी मध्यप्रदेश में पीपल, केले और नारियल के पत्तों के जीवाश्म ढूंढ निकालने का दावा किया है.

समूह के मुताबिक ये जीवाश्म कम से कम छह करोड़ साल पुराने हैं और जबर्दस्त भौगोलिक हलचलों के साथ जारी रही जीवन की विकास यात्रा के सबूत पेश करते हैं.

मंगल पंचायतन परिषद के प्रमुख विशाल वर्मा ने बताया, ‘हमें यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर धार जिले में खुदाई के दौरान पीपल, केले और नारियल के पत्तों के जीवाश्म मिले हैं. हमने वहां शंख सरीखे जलीय जीवों और घास के जीवाश्म का भी पता लगाया है, जो सहस्त्राब्दियों से धरती के गर्भ में दबे हुए थे.’
वर्मा ने कहा कि ये जीवाश्म जिस क्षेत्र में मिले, वहां उनका समूह डायनोसोर के अंडों और उनकी हड्डियों के जीवाश्म भी ढूंढ चुका है. इसे देखते हुए क्षेत्र में राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान बनाने का फैसला प्रदेश सरकार पहले ही कर चुकी है. वह बताते हैं, ‘हमें आठ महीने लंबे खोज अभियान के दौरान एक झील के सबूत मिले, जो आठ किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैली हुई थी और लावा प्रवाह में दब गयी थी.’ उन्होंने बताया कि उनके खोजकर्ता समूह को धार जिले में ज्वालामुखी विस्फोट से बहे लावे के 24 जमावों के निशान मिले हैं. ऐसे दो लावा प्रवाहों के बीच सदियों का अंतराल हो सकता है.

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वर्मा ने कहा कि खुदाई के बाद लावे के जमावों के नीचे मिले पेड़.पौधों और अन्य जीव प्रजातियों के जीवाश्म छह करोड़ साल से लेकर 6.9 करोड़ साल पुराने हैं.

उन्होंने कहा, ‘ये जीवाश्म पश्चिमी मध्यप्रदेश में लाखों साल पुरानी जैव विविधता का खुलासा करते हैं. इस क्षेत्र में जीवाश्म से जुड़े शोध की भरपूर संभावनाएं हैं. हम इन दिनों वहां कीटों के जीवाश्म ढूंढ रहे हैं.’

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