अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम (अत्याचार निरोधक) को बदलाव के साथ लागू करने की खबरों के बीच गृह मंत्रालय ने सफाई दी है कि ज्यादातर राज्य सरकारें आदेश वापस लेने वाली केंद्र सरकार की मांग के साथ हैं.
गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि एससी/एसटी एक्ट के दंडात्मक प्रावधानों को कमजोर करने से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का आदेश वापस लेने की मांग पर राज्य सरकारें केंद्र के साथ खड़ी हैं. गृह मंत्रालय की यह टिप्पणी उन खबरों के बीच आई है जिनके तहत कुछ राज्य सरकारें पहले ही अपनी पुलिस को 20 मार्च को सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सख्ती से लागू करने के निर्देश दे चुकी हैं.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'केंद्र ने पूरी तरह साफ कर दिया है कि एससी/एसटी एक्ट को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. अब केंद्र सरकार कह रही है कि राज्य भी इस मांग पर उनके साथ हैं.
दरअसल, ऐसी खबरें थीं कि कुछ राज्य सरकारों ने औपचारिक आदेश जारी कर पुलिस प्रमुखों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है.
मंत्रालय के एक दूसरे अधिकारी के मुताबिक, कुछ राज्यों ने कहा है कि वे आदेश में बदलाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर करेंगे. छत्तीसगढ़ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देने का इरादा जताया है, जबकि केरल पहले ही समीक्षा याचिका दायर कर चुका है.
इन राज्यों में आदेश जारी होने की खबर
मंगलवार को ही इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में कहा गया कि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकार ने आधिकारिक तौर पर राज्य पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का आदेश जारी कर दिया है. इन राज्यों के अलावा हिमाचल प्रदेश ने भी अनौपचारिक तौर पर इस आदेश को जारी कर दिया है, जल्द ही औपचारिक आदेश भी जारी कर दिया जाएगा.
सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान अलग से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालेंगे. हालांकि, अभी राज्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे.
20 मार्च के आदेश का विरोध करने के लिए कुछ दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था. जिस दौरान कई राज्यों में भीषण हिंसा हुई थी.