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Meghalaya coal mine mishap: क्या खदान में फंसे मजदूरों कोे बचाने में विफल है सरकार?

Meghalaya coal mine mishap रैट होल खनन पर पाबंदी लगाई जा चुकी है बावजूद इसके मेघालय के कई इलाकों में इसी तरीके से खनन का काम किया जाता है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि इतने बड़े हादसे के बाद भी अबतक राज्य के आपदा विभाग के मंत्री ने घटनास्थल का दौरा नहीं किया है.

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बचाव में लगी NDRF की टीम (फाइल फोटो- AP)
बचाव में लगी NDRF की टीम (फाइल फोटो- AP)

मेघालय की एक कोयला खदान में फंसे हुए 15 मजदूरों के परिवार को अब भी उम्मीद है कि उनके घरवाले जिंदा बचकर निकलेंगे. इस रैट होल खदान में अवैध तरीके से खनन का काम किया जा रहा था जिसमें एक छोटे सी सुंरग के जरिए करीब 20 मजदूर अंदर उतरे थे. इस तरह की माइनिंग पर नेशनन ग्रीन ट्रिब्यूनल साल 2004 से ही पाबंदी लगा चुका है. यहां के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले की खदान में ये मजदूर बीते 13 दिसंबर से फंसे हुए हैं. इस बीच राज्य सरकार ने इस हफ्ते रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया है क्योंकि उसके लिए हाई पावर पम्प की जरूरत है जो गड्ढे में से पानी को बाहर निकाल सके.

बीते दिनों में करीब 20 खदान मजदूर इस 370 फुट गहरी खदान में उतरे थे. खदान इतनी संकरी है कि एक बार में एक ही व्यक्ति नीचे उतर सकता है. स्थानीय लोगों के कहना है कि अनजाने में किसी एक मजदूर ने सुरंग की दीवार को तोड़ दिया जिसकी वजह से पास की नदी का पानी अंदर घुसने लगा. इसके बाद किसी तरह से 5 मजदूर बाहर निकलने में कामयाब रहे. हालांकि मजदूरों के परिजनों को उम्मीद है कि बाकी लोग भी इसी तरह से बाहर निकल आएंगे.

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रेस्क्यू में फेल हुई सरकार?

शिलांग टाइम्स के एडिटर पी. मुखीम इसके लिए मेघालय सरकार को दोषी मानते हैं. उनका कहना है कि हमेशा से सरकार अवैध खनन की बात से इनकार करती आई है और इस हादसे से झूठ अब बाहर आ चुका है. जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई के बताया कि गांव वाले इस हादसा के बारे में छुपा रहे थे क्योंकि उन्हें खनन मालिकों से किसी तरह के नुकसान का खतरा था.

रैट होल खनन में बेहद संकरी सुंरग खोदकर खनन किया जाता है. यह तरीका बेहद खतरनाक, अवैज्ञानिक और जोखिम भरा है. रैट होल खनन पर पाबंदी लगाई जा चुकी है बावजूद इसके मेघालय के कई इलाकों में इसी तरीके से खनन का काम किया जाता है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि इतने बड़े हादसे के बाद भी अबतक राज्य के आपदा विभाग के मंत्री ने घटनास्थल का दौरा नहीं किया है और न ही किसी तरह के मुआवजे का एलान किया गया है.

हादसे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 15 मजदूर खदान में फंसे हुए हैं और प्रधानमंत्री ब्रिज पर पोज दे रहे हैं. इनकी सरकार ने बचाव के लिए पम्प मुहैया कराने से भी इनकार कर दिया है. 

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सामाजिक कार्यकर्ता संजोय हजारिका का कहना है कि इस आपदा ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों की पोल खोल दी है. साथ ही उस NDRF की जो राज्य की आपदा टीम को अकेले छोड़कर चली गई. हजारिका का कहना है कि इनके पास इस तरह की आपाद से निपटने के लिए न तो पर्याप्त साधन है और न ही स्किल. उन्होंने कहा कि रैट होल माइनिंग की एक पूरा जाल मेघालय में काम कर रहा है.

कांग्रेस के नेता एच. एम. शांगलियांग का कहना है कि जब थाईलैंड की सरकार आपका के वक्त रेस्क्यू ऑपरेशन में इंटरनेशनल टीमों की मदद ले सकती है तो यह सरकार ऐसा क्यों नहीं कर रही है. क्या वो खदान मजदूर को बचाने के लिए गंभीर नहीं है. एनडीआरएफ के पूर्व डीआईजी नवीन कुमार का कहना है कि राज्य सरकार भले ही इसके लिए तैयार न हो लेकिन एनडीआरएफ पूरी तरीके से तैयार है. उन्होंने कहा कि अगर पानी निकालने की साधन मुहैया कराए जाते तो मजदूरों को खदान से निकालना मुमकिन था.

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