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जेल से रिहा हुई नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर

जिला जेल से रिहा होने के बाद मेधा ने कहा, गैर कानूनी और भ्रष्टाचारियों के काम को रोकने वालों को सरकार जेल में बंद रखना चाहती है. झूठी बात बनाकर न्यायालय का उपयोग कर अन्याय ढहाने का काम सरकार कर रही है. यह बहुत दर्दनाक है.

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जेल से बाहर आतीं मेधा पाटकर
जेल से बाहर आतीं मेधा पाटकर

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ से आमरण अनशन के दौरान सरकारी अधिकारियों को बंधक बनाने के मामले में सशर्त जमानत मिलने के एक दिन बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख नेता मेधा पाटकर को गुरुवार को धार जिला जेल से रिहा कर दिया गया है. मेधा नौ अगस्त से धार जिला जेल में बंद थी.

जिला जेल से रिहा होने के बाद मेधा ने कहा, गैर कानूनी और भ्रष्टाचारियों के काम को रोकने वालों को सरकार जेल में बंद रखना चाहती है. झूठी बात बनाकर न्यायालय का उपयोग कर अन्याय ढहाने का काम सरकार कर रही है. यह बहुत दर्दनाक है.

उन्होंने कहा, न्याय पर चलने वाले लोगों को प्रताड़ित करके नर्मदा घाटी में पुनर्वास के नाम पर जो हो रहा है, वह अब सहन नहीं किया जाएगा. मेधा ने कहा, मैं नर्मदा घाटी में जाऊंगी, घाटी मेरा घर है. उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में सरकार ने जो पुनर्वास के कामों का जवाब दाखिल किया है, उसमें करोडों रूपये के काम बाकी है. मेधा ने बताया कि विस्थापितों के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी.

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उन्होंने कहा, राज्य सरकार 31 जुलाई तक सरदार सरोवर से प्रभावित गांवों को खाली नहीं करा पाई, क्योंकि सरकार भी जानती है कि इतना अत्याचार विनाश काले विपरीत बुद्धि साबित होगा. इसलिए एक प्रकार की जीत लोगों ने हासिल की है. मेधा के खिलाफ धार जिले के कुक्षी पुलिस थाने में भारतीय दंड विधान के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन्हें इस मामले में नौ अगस्त को गिरफ्तार किया गया था.

मामले में आरोप है कि मेधा और उनके साथियों ने एक अगस्त को प्रदेश सरकार और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण एनवीडीए के अधिकारियों को ढाई घंटे तक बंधक बना लिया था जिससे सरकारी काम में बाधा पहुंची थी. मेधा अपने कुछ साथियों के साथ चिखल्दा गांव में आमरण अनशन पर बैठी थीं और सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के उचित पुनर्वास की मांग कर रही थीं.

 

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