ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए अनोखी पहल की है. पार्टी पंचायत चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों से लिखित में हलफनामा ले रही है. उनसे लिखवाया जा रहा है कि वे किसी निजी कॉन्ट्रैक्टर, कारोबार या अवैध रेत खनन में शामिल नहीं होंगे. पार्टी टिकट की चाहत रखने वाले सैकड़ों लोगों ने हलफनामे पर दस्तखत करके सौंपे हैं.
टीएमसी की ओर से प्रकाशित हलफनामे में लिखा गया है- 'मैं शपथ लेता हूं कि अगर तृणमूल कांग्रेस ने मुझे नामित किया और मैं ग्राम पंचायत या पंचायत समिति का सदस्य निर्वाचित हुआ तो मेरा परिवार (सरकारी) योजनाओं या खेती के उपकरणों का लाभ नहीं लेगा, ना ही पार्टी की अनुमति के बिना मेरे प्रभाव का अगले पांच साल तक इस्तेमाल करेगा. ना ही मैं किसी निजी कॉन्ट्रैक्टर कारोबार, अवैध रेत खनन या टॉल बूथों से जुडूंगा.'
272 ग्राम पंचायत, 46 पंचायत समिति और 4 जिला परिषद सीटों के लिए टीएमसी उम्मीदवारों से लिखित हलफनामा लिए जा रहे हैं. ये हलफनामे हुगली जिले में पार्टी की गोघाट ब्लॉक 1 यूनिट की ओर से जारी किए गए.
गोघाट से टीएमसी विधायक मानस मजूमदार ने कहा, 'पार्टी की छवि को बेहतर करने के लिए हमने ये कदम उठाया है. साथ ही इससे लोगों में भी जनप्रतिनिधियों को लेकर राय में सुधार आएगा. हमारे सारे उम्मीदवारों को ये लिखित में देना है कि वे किसी निजी कॉन्ट्रैक्टर कारोबार या अवैध खनन में शामिल नहीं होंगे. इस तरह की गतिविधियों ने बीते समय में पार्टी का नाम खराब किया है.'
मजूमदार के मुताबिक पंचायत के लिए नामांकन भरने वाले हर उम्मीदवार को अपनी वित्तीय स्थिति बताने के साथ ये भी साफ करना होगा कि वो जनसेवा के लिए कितना समय देने को तैयार है. ऐसा इसलिए कि जब उसका कार्यकाल खत्म हो तो लोग उसकी हैसियत की तुलना पांच साल पहले से करके देख सकें.
पार्टी की ओर से उम्मीदवारों को दिए जाने वाले फॉर्म में 15 सवाल हैं, जिनमें उम्मीदवारों की निजी जानकारी के अलावा, पारिवारिक आय और पूर्व में अगर किसी राजनीतिक दल से जुड़ाव रहा है, ये भी बताना होगा.
हालांकि बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस की इस कवायद पर निशाना साधा है. बीजेपी का कहना है कि इससे साबित होता है कि त़ृणमूल नेतृत्व का नाता किस हद तक भ्रष्टाचार के साथ रहा है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, 'उनके नेता राज्य में हर तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल हैं चाहे वो कोयला चोरी हो, रेत खनन हो या गायों की तस्करी. इस तरह के लिखित हलफनामों से जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं होगा. आज लोग तृणमूल से इसीलिए जुड़ते हैं कि भाग्य बना सकें, उनकी कोई विचारधारा नहीं है.'