कोलकाता में वामपंथी छात्र की मौत को लेकर बवाल बढ़ गया है. तृणमूल सरकार पर चौतरफा हमले हो रहे हैं.
एसएफआई संगठन से जुड़े छात्र सुदीप्तों के मौत के मुद्दे ने तूल पकड़ा तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उस अस्पताल पहुंची जहां सुदीप्तो का शव रखा गया है. लेकिन ममता को अस्पताल से बैरंग लौटना पड़ा. वहां वामपंथी छात्रों का जत्था सीएम के ख़िलाफ़ जोरदार नारेबाजी कर रहा था.
ममता बनर्जी गाड़ी से उतरकर आगे बढ़ीं लेकिन जैसे ही उन्होंने नारों की आवाज सुनी, वे बिना किसी से मिले वापस लौट गईं. इसके बाद ममता लाल बाज़ार पुलिस मुख्यालय पहुंचीं और पूरे मामले की जानकारी ली. वामपंथी छात्र की मौत पर दीदी ने अफसोस जताते हुए कहा कि कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
दूसरी तरफ़ वामपंथी खेमा इस मुद्दे को लेकर भड़का हुआ है. सीपीएम ने मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. एसएएफआई ने गुरुवार को छात्रों की हड़ताल का आह्वान किया है. वामपंथी धड़े के बाकी 3 छात्र संगठनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है.
क्या है मामला?
कोलकाता में ये बवाल दरअसल वामपंथी छात्रों के आंदोलन से पैदा हुआ है. छात्रसंघ चुनावों पर ममता सरकार ने 6 महीने तक रोक लगा रखी है. एसएफआई यानी स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के छात्र तृणमूल सरकार के खिलाफ कानून तोड़ो आंदोलन कर रहे थे. एसएफआई ने इसी मुद्दे पर मंगलवार को मार्च निकाला था. पुलिस ने छात्रों पर लाठी चार्ज किया और उन्हें बसों में भरकर प्रेसिडेंसी जेल ले जा रही थी. रास्ते में सुदीप्तो गुप्तो नाम के छात्र का सिर सड़क किनारे लगे लैंप पोस्ट से टकरा गया. अस्पताल में उसकी मौत हो गई. पुलिस इसे हादसा बता रही है जबकि छात्रों का कहना है कि इस मौत के लिए पुलिस सीधे तौर पर जिम्मेदार है क्योंकि सुदीप्तो पुलिस की हिरासत में था.