पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) मुखिया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बिना बताए लोगों के घर पहुंच जा रही हैं. अचानक दरवाजे पर मुख्यमंत्री के दस्तक देने से लोग हैरान हो जाते हैं. झुग्गी-झोपड़ियों और गांवों में रहने वाले लोगों पर उनका खास फोकस है. ममता बनर्जी इस सरप्राइज पॉलिटिक्स से जनता का दिल जीतने की तैयारी कर रही हैं.
चर्चा है कि ममता बनर्जी यह दांव चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर चल रही हैं. इसी कड़ी में बीते सोमवार (26 अगस्त) को ममता बनर्जी ने बर्धमान-पूर्बा क्षेत्र के अलीशा बैकुंठपुर गांव पहुंचकर लोगों को हैरान कर दिया. अचानक घर के सामने मुख्यमंत्री को देखकर लोग कुछ समझ नहीं पा रहे थे. वजह कि उन्हें पता ही नहीं था कि इस तरह अचानक मुख्यमंत्री पहुंचकर उनकी समस्याएं निपटाने में जुट जाएंगी.
ममता बनर्जी ने सरप्राइज विजिट की शुरुआत 19 अगस्त से की. ममता बनर्जी को हावड़ा में प्रशासनिक अफसरों के साथ बैठक में जाना था. बैठक में जाने से पहले वह हावड़ा के दो नंबर राउंड टैंक लेन की झुग्गी-झोपड़ियों में अचानक पहुंच गईं. घरों पर उन्होंने दस्तक दी. दरवाजे खुले तो अंदर पहुंचकर महिलाओं, बच्चों और पुरुषों से बात कर उनकी समस्याएं जानीं. पता चला कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को पानी, सफाई, राशन आदि की दिक्कतें हैं. झुग्गी-झोपड़ियों की असलियत देखने के बाद ममता मीटिंग लेने पहुंचीं और उन्होंने बैठक में अफसरों को जमकर लताड़ लगाई.
उन्होंने बैठक में संबंधित मुद्दों को उठाते हुए अफसरों की न केवल क्लास लगाई बल्कि हावड़ा नगर निगम, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अफसरों को मौके पर पहुंचकर समस्याओं के निवारण के लिए कहा. इतना ही नहीं मंत्रियों, विधायकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टास्क फोर्स भी गठित की. इसी तरह बीते 21 अगस्त को दीघा टाउन के दत्तापुर गांव मे बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के वह पहुंच गईं.
जमीन और जनाधार बचाने की चुनौती
जिस तरह से पश्चिम बंगाल में बीजेपी मजबूत हो रही है, उससे तृणमूल कांग्रेस खेमे में हलचल है. जमीन और जनाधार बचाने के लिए ममता बनर्जी अब पुराने अवतार में हैं. वह सड़क पर उतरने को मजबूर हुई हैं. जिसके लिए वह जानी जाती हैं. गांव-गांव और शहरी क्षेत्रों में बसने वाली झुग्गी-झोपड़ियों में जाकर वह आम जन और गरीबों से सीधा हालचाल लेकर खुद को उनकी रहनुमा साबित करने की कोशिश में हैं.
दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से 42 में से 18 सीटें बीजेपी झटकने में सफल रही, उसे तृणमूल कांग्रेस 2021 में अपने लिए खतरे की घंटी समझती है. बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच सिर्फ चार लोकसभा सीटों का अंतर है. बीजेपी का लगातार बढ़ता जनाधार तृणमूल के लिए मुश्किलें खड़ा कर रहा है. ऐसे में ममता बनर्जी की इस सरप्राइज पॉलिटिक्स को जमीन और जनाधार बचाने की कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा.