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असम: इन्होंने सफल बनाया बीजेपी का 'मिशन 84'

असम में विधानसभा चुनाव के नतीजे बड़े दिलचस्प रहे. यहां 15 साल से कांग्रेस का शासन खत्म हुआ. पहली बार बीजेपी का कमल खिला. असम में जीत की एक वजह जहां पीएम मोदी की चुनावी रैलियां हैं, वहीं असम के बीजेपी प्रभारी महेंद्र सिंह का भी अहम योगदान है. जिन्होंने बीजेपी के 'मिशन 84' की मशीनरी के तौर पर काम किया.

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पीएम मोदी के साथ असम बीजेपी प्रभारी महेंद्र सिंह
पीएम मोदी के साथ असम बीजेपी प्रभारी महेंद्र सिंह

असम में विधानसभा चुनाव के नतीजे बड़े दिलचस्प रहे. यहां 15 साल से कांग्रेस का शासन खत्म हुआ. पहली बार बीजेपी का कमल खिला. असम में जीत की एक वजह जहां पीएम मोदी की चुनावी रैलियां हैं, वहीं असम के बीजेपी प्रभारी महेंद्र सिंह का भी अहम योगदान है. जिन्होंने बीजेपी के 'मिशन 84' की मशीनरी के तौर पर काम किया.

क्या है मिशन 84
बीजेपी ने असम में चुनाव की तैयारी दिल्ली और बिहार में हुई भारी हार से पहले से ही शुरू कर दी थी. पार्टी ने राज्य में 126 विधानसभा सीटों के लिए लड़ाई में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करने के लिए 'मिशन 84' का नारा महीनों से दे रखा था. इस काम में महेंद्र सिंह ने बीजेपी का बखूबी साथ दिया.

800 फीसदी तक बढ़ी बीजेपी की सदस्यता
उन्होंने 16 महीनों के अंदर असम में रजिस्टर्ड मेंबरशिप को करीब 800 फीसदी तक पहुंचा दिया. नवंबर 2014 में असम में 3.5 लाख बीजेपी सदस्य थे, जो अप्रैल 2016 तक महा संपर्क अभियान के जरिये 31 लाख हो गई. महेंद्र सिंह ने इस बारे में कहा, 'पूरे भारत में मोदी जी का जादू जिस तरीके से पहले चल रहा था, आज भी उसी तरीके से चल रहा है.'

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युवा सदस्यों के देंगे प्रमुखता
असम में बीजेपी की सदस्य संख्या को बढ़ाने के लिए महा संपर्क अभियान की शुरुआत दिसंबर 2014 में हुई. इसके तहत कोई भी शख्स सिर्फ मिस्ड कॉल देकर बीजेपी की सदस्यता के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता था. महेंद्र सिंह ने बताया, 'महा संपर्क अभियान की प्रक्रिया ने अच्छे नतीजे दिखाए. अभी रोजाना नए सदस्य हमारे साथ जुड़ रहे हैं. चुनाव मे जीत के बाद इसकी संख्या आगे और बढ़ेगी. हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा युवा पार्टी से जुड़ें.

असम दूसरे राज्यों से अलग
असम के बीजेपी प्रभारी महेंद्र ने बताया, 'असम के लोग लहे लहे यानी धीरे-धीरे काम काम करते हैं और आगे बढ़ते हैं. मैंने पहले ही कहा था कि यहां जल्दबाजी का नहीं करेगी. हमें सिर्फ लड़ाई लड़नी नहीं है, बल्कि लड़ाई जीतनी है.' उन्होंने बताया, 'मैंने महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा और पंजाब के चुनाव की जिम्मेदारियां भी संभाली हैं, लेकिन असम इन सबसे बहुत अलग था. यहां हर 100 किलोमीटर के बाद लोगों की भाषाएं बदल जाती थी, ऐसे में उनके साथ संपर्क स्थापित करना हमारे लिए चुनौती थी. मोदी की जनकल्याणकारी योजनाओं ने भी यहां बीजेपी के लिए अच्छा माहौल तैयार किया. महेंद्र ने चुनाव में इस जीत का श्रेय पूरी टीम को दिया है.

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