श्रीलंका में एलटीटीई से लड़ाई के दौरान तैयार किए गए एक वीडियो को लेकर बवाल मच गया है. श्रीलंकाई पत्रकारों के एक संगठन ने ये वीडियो जारी किया है जिसमें दिखाया गया है कि कुछ लोगों को नंगा करके, उन्हें गोली मारी जा रही है. पीड़ितों के हाथ बंधे हुए हैं और आंखों पर भी पट्टी बंधी है.
श्रीलंका सरकार से संपर्क में है भारत
भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने वीडियो मामले पर कहा है कि वह इस मामले को देख रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इस मामले पर वह श्रीलंका स्थित दूतावास को यह निर्देश दिया है कि श्रीलंका सरकार से मिलने वाली जानकारी को उपलब्ध कराए.
यह सब लिट्टे का प्रोपगेंडा है
श्रीलंकाई सेना के प्रवक्ता उदय नानायाक्करा ने इसे एक प्रोपगेंडा करार देते हुए कहा है कि यह लिट्टे द्वरा शुरु किया गया है. इस वीडियो में सिंहली भाषा का प्रयोग किया गया है और उपयोग की गई वर्दी भी श्रीलंकाई सेना के नहीं है. हमारे सेना पूरी तरह अनुशासन में रहते हैं और हमारे अधिकारियों का उसपर नियंत्रण रहता है.
मानवाधिकार संगठनों ने भी ऐतराज जताया
पत्रकारों के संगठन का दावा है कि इस वीडियो में जिनके हाथ में बंदूक है वे श्रीलंकाई सेना के जवान हैं, जबकि जिन्हें गोली मारी जा रही है वे या तो आम तमिल नागरिक हैं या फ़िर लिट्टी के लड़ाके. मानवाधिकार संगठनों को ऐतराज़ इस बात पर है कि अगर ये लिट्टे के लड़ाके हैं तो भी उनके साथ इस तरह का बर्ताव नहीं किया जा सकता. युद्ध बंदियों के साथ किस तरह का सलूक किया जाना चाहिए, ये बात जिनेवा कनवेंशन में साफ़ बताई गई है.
श्रीलंकाई सैनिकों से हासिल हुआ वीडियो फुटेज
पत्रकारों का दावा है कि ये वीडियो फुटेज उन्हें एक श्रीलंकाई सैनिक से हासिल हुआ है, जिसे इसी साल जनवरी में एक सैनिक ने अपने मोबाइल फ़ोन से तैयार किया था. पत्रकारों के मुताबिक ये वीडियो मानवाधिकार संगठनों के दावों को भी मज़बूत करता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक एलटीटीई से हुई लड़ाई में क़रीब 10 हज़ार आम तमिल नागरिकों की मौत हुई थी, जबकि मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि मरने वाले तमिलों की तादाद 20 हज़ार से ज़्यादा हैं.