समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों के मूल्य वृद्धि पर हंगामे के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने विभिन्न मुद्दों पर जारी हंगामे के बीच शुक्रवार को लोकपाल विधेयक राज्यसभा में पेश कर दिया. हंगामे के कारण विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी.
विधेयक में उच्चस्तर के सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए लोकपाल नामक संस्था बनाने का प्रावधान है. सरकार द्वारा अंतिम समय फैसला लेने के बाद राज्यसभा में दोपहर 12 बजे विधेयक पेश किया गया.
गुरुवार को यह संकेत मिला था कि राज्यसभा में सोमवार को विधेयक पेश किया जाएगा और चर्चा होगी.
मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन के बावजूद उच्च सदन में विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी. सपा के सदस्यों ने महंगाई के मुद्दे पर हंगामा किया और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) सदस्यों ने 'आंध्र प्रदेश बचाओ' का नारा लगाते हुए शोरशराबे को और बढ़ा दिया.
लोकपाल विधेयक पेश किए जाने के तुरंत बाद ही राज्यसभा की कार्यवाहीं रोक दी गई और 2:30 बजे कामकाज फिर से बहाल हुआ.
सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि महंगाई का मुद्दा भ्रष्टाचार से भी ज्यादा अहम है और इस पर चर्चा की जानी चाहिए.
उपसभापति पी. जे. कुरियन ने कहा कि विधायी कार्य निपटाने के बाद चर्चा की जा सकती है. इतना सुनते ही सपा के सदस्य सभापति की आसंदी के समीप चले गए और महंगाई व कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.
हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही 3:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई, लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस की तस रही. यहां तक कि कुरियन की 'कड़ी कार्रवाई' करने की चेतावनी का भी सपा और तेदेपा के सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ.
सदस्यों के अड़ियल रवैए के कारण सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. विधेयक के बारे में बोल रहे नारायणसामी सदन की कार्यवाही स्थगित करने का अनुरोध किया, लेकिन उपसभापति ने उनका अनुरोध स्वीकार नहीं किया.
अन्ना की चिट्ठी
उधर, रालेगण सिद्धि में जनलोकपाल बिल को लेकर अन्ना हजारे के अनशन का आज चौथा दिन है. अन्ना ने कहा है कि बिल पास होने तक उनका अनशन नहीं टूटेगा. अन्ना बिल पर सरकार और कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के रुख से खासे नाराज हैं. अन्ना ने प्रधानमंत्री, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत बीजेपी को भी चिट्ठी लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.
अपनी चिट्ठी में अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी को लिखा कि उन्हें बार-बार झूठा आश्वासन देकर मुझे और देश को धोखा दिया गया है. अन्ना ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की बात करते हुए लिखा कि बिल पास नहीं होने के कारण जनता गुस्से में है और इसलिए कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है. यदि इस बार भी बिल पास नहीं हुआ तो 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ेगा. अन्ना हजारे ने चिट्ठी में लिखा है कि उनका अनशन बिल पास होने तक जारी रहेगा और देश के लिए वह अंतिम बलिदान देने के लिए भी तैयार हैं.
बिल के जरिए बीजेपी पर निशाना
माना जा रहा है कि यूपीए सरकार संसद में बीजेपी की रणनीति को ढेर करने के लिए लोकपाल बिल पेश कर रही है. अगर विपक्ष सदन नहीं चलने देता है तो उसे इस मुद्दे पर घेरा जाएगा. साथ ही इस रणनीति के जरिए सरकार अन्ना हजारे और लोकपाल बिल समर्थकों को यह संदेश देना चाहती है कि वह लोकपाल बिल पास कराने के लिए गंभीर है.
गौर करने वाली बात यह है कि संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 5 दिसंबर को हुई थी. उस दिन से अब तक दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. चाहे 2जी पर जेपीसी रिपोर्ट हो या तेलंगाना गठन का मसला, विपक्ष के साथ ही सरकार के अपनों ने भी संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी है. ऐसे में इस बिल का पास हो पाना नामुमकिन लगता है.
लोकपाल बिल पर तमाम पार्टियों की प्रतिक्रियाएं
बीजेपी नेता अरुण जेटली- इस पर देरी नहीं होनी चाहिए.
आप नेता कुमार विश्वास- ना तो अन्ना और ना ही आम आदमी पार्टी राज्यसभा में पेश किए जाने वाले लोकपाल बिल के पक्ष में हैं. हमारी पार्टी इसे अस्वीकार करती है.
सपा नेता रामगोपाल यादव- सपा लोकपाल के समर्थन में नहीं है. बिल पर समर्थन का सवाल ही नहीं है.
बीजेपी नेता नजमा हेपतुल्ला- हमारी पार्टी लोकपाल के पक्ष में है. लेकिन सरकार इसे पास नहीं कराना चाहती. पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली भी लोकपाल के समर्थन के पक्ष में अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं.
जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव- अच्छा होगा कि अन्ना अनशन ना करें. लोकपाल बिल तभी पास हो सकता है जब संसद चले और इस पर गहन विचार-विमर्श हो.
कांग्रेस नेता कमलनाथ- सत्र को घटाने की कोई योजना नहीं है. इस संबंध में आ रही खबरें गलत हैं. हमें कई बिल पास करने हैं जिनमें जनलोकपाल हमारी प्राथमिकता है. इसे पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा में लाया जाएगा.
सपा नेता नरेश अग्रवाल- सरकार जनता में विश्वास खो चुकी है. उसे कोई बिल संसद में पास कराने का हक नहीं है. नई सरकार सभी अहम बिल पास कराएगी. इस सरकार के सभी फैसले असंवैधानिक होते हैं. चुनाव लड़ना देश के हर नागरिक का अधिकार है. और हम हमेशा ऐसे लोगों का स्वागत करना चाहते हैं जो कि उत्तर प्रदेश में आकर चुनाव लड़ना चाहते हैं.