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सर्वदलीय बैठक में लोकपाल पर माथापच्‍ची

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से कल बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में लोकपाल विधेयक पर साझा दृष्टिकोण आने की कम ही संभावना है जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और वामदलों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

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सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह
सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह

लोकपाल को लेकर आम सहमति कायम करने के प्रयास प्रधानमंत्री निवास पर सर्वदलीय बैठक हो रही है. बैठक में किस पार्टी ने क्‍या राय व्‍यक्‍त की, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल सकी है.

हालांकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में लोकपाल विधेयक पर साझा दृष्टिकोण आने की कम ही संभावना है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और वामदलों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

इन दो प्रमुख गठबंधनों ने सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने का निर्णय लिया है, लेकिन सरकार के अपना मसौदा विधेयक प्रस्तुत करने के बाद वे अपना दृष्टिकोण रखेंगे. इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट की.

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बैठक में सरकार अन्ना हजारे के पक्ष और उसके पांच मंत्रियों की ओर से पेश लोकपाल विधेयक के प्रावधानों पर तुलनात्मक मसौदा विभिन्न दलों के समक्ष रख सकती है.

राजग ने सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का फैसला किया है. गठबंधन के एक महत्वपूर्ण घटक शिवसेना ने इस बैठक से अपने आपको अलग रखने का निर्णय किया है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर बुलाई गई राजग की बैठक में सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का निर्णय किया गया.
बैठक के बाद आडवाणी ने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार ने लोकपाल विधेयक पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है और राजग ने इसमें शामिल होने का निर्णय किया है. हम एक मजबूत लोकपाल चाहते हैं और इस विषय में अपनी बात या असंतोष बैठक में व्यक्त करेंगे.’ आडवाणी ने बताया कि शिवसेना के नेता अनंत गीते ने सुषमा स्वराज को सूचना दी कि उनकी पार्टी सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होगी.

भाजपा ने कहा, ‘हम आशा करते हैं कि वह (शिवसेना) अपने निर्णय पर फिर से विचार करेगी और बैठक में शामिल होगी. हम उनसे इस विषय में बात करेंगे.’ राजग के दो सहयोगी जद यू और शिरोमणि अकाली दल जहां सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के पक्ष में थे, वहीं भाजपा इस विषय पर उहापोह में थी.

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सूत्रों ने बताया कि अंतत: यह निर्णय किया गया कि राजग लोकपाल विधेयक पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेगी और वहां सरकार का विचार सुनने के बारे अपनी राय व्यक्त करेगी.

आडवाणी ने कहा, ‘पहले विपक्ष इस विषय पर कोई राय नहीं बना पाया था कि बैठक में शामिल हों या नही. लेकिन हमने बैठक में हिस्सा लेने और अपना असंतोष व्यक्त करने का निर्णय किया है.’

बहरहाल, विपक्ष ने सरकार की ओर से भेजे गए दो मसौदों पर कुछ भी कहने से इनकार किया है. राजग की बैठक में आडवाणी के अलावा लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली, राजग संयोजक और जद यू अध्यक्ष शरद यादव, राज्यसभा में भाजपा के उपनेता एस एस अहलूवालिया, अकाली दल नेता रतन सिंह अजनाला और नरेश गुजराल तथा जद यू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी शामिल हुए.

लोकपाल विधेयक पर सर्वदलीय बैठक के बारे में भाजपा वाम दलों से भी सम्पर्क में है.

आडवाणी ने कहा, ‘‘ मेरी मुलाकात भाकपा नेता डी राजा से हुई और उन्होंने राजग के रूख के बारे में पूछा.’’ उधर, वामदलों का रूख स्पष्ट करते हुए माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि वामपंथी पार्टियां बैठक में शिरकत करेंगे लेकिन चूंकि सरकार ने अपना मसौदा विधेयक नहीं दिया है, ऐसे में सरकार का मसौदा विधेयक के मिलने के बाद भी वामदल अपना दृष्टिकोण रखेंगे.

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प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाये जाने के मुद्दे पर कांग्रेस पर अपने पक्ष से पलटने का आरोप लगाते हुये माकपा ने आज कहा कि प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले संसदीय पैनल ने वर्ष 2001 में ऐसी सिफारिश की थी .

करात ने संवाददाता सम्मेलन में कहा ‘वर्ष 1989 में वी पी सिंह की सरकार से लेकर अब तक लोकपाल पर तीन विधेयक लाये जा चुके हैं..यहां तक कि 1996 और 2001 में भी. इन सभी में प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की बात की गयी थी.’ उन्होंने कहा ‘यह चौंकाने वाली बात है कि संप्रग सरकार इसे स्वीकार करने से इंकार कर रही है.’ इसी बीच हजारे और उनके सहयोगियों ने सोनिया गांधी से भेंट की और प्रधानमंत्री एवं न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग पर जोर दिया.

तीस मिनट की इस भेंट के बाद हजारे ने कहा कि एक उचित विधेयक संसद में रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संसद जो भी निर्णय लेगा वह उसका सम्मान करेंगे क्योंकि वह लोकतंत्र या संसद के खिलाफ नहीं है. उन्होंने साथ ही यह धमकी दी कि यदि उचित विधेयक सदन में पेश नहीं किया गया तो 16 अगस्त से आमरण अनशन पर बैठेंगे.

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