scorecardresearch
 

तलाक के केस में बच्चों के लिए होगी अब जॉइन्ट कस्टडी!

अभी तक भारत में तलाक के मामलों में मां बाप में से एक को बच्चे की कस्टडी सौंपी जाती रही है. लेकिन अब पहली बार इसमें भागीदारी का कांसेप्ट जोड़ा जा रहा है, जिसके चलते बच्चों की देखभाल और परवरिश की जिम्मेदारी दोनों पेरेंट्स शेयर करेंगे.

Advertisement
X
Symbolic Image
Symbolic Image

अभी तक भारत में तलाक के मामलों में मां-बाप में से एक को बच्चे की कस्टडी सौंपी जाती रही है. लेकिन अब पहली बार इसमें भागीदारी का कॉन्सेप्ट जोड़ा जा रहा है, जिसके चलते बच्चों की देखभाल और परवरिश की जिम्मेदारी दोनों पेरेंट्स शेयर करेंगे. इसे जॉइन्ट कस्टडी का नाम दिया गया है.

शुक्रवार को लॉ कमीशन ने सरकार के सामने एक ड्राफ्ट पेश किया जिसमें मौजूदा गार्जियनशिप और कस्टडी कानूनों में संशोधन के प्रावधान हैं. इसके तहत अब जब बच्चों के लिए कस्टडी निर्धारित की जाएगी तो उसमें बच्चों के अधिकारों और हितों को ज्यादा महत्त्व दिया जाएगा. कमीशन ने जॉइन्ट कस्टडी के केस में बाल हित अधिकारों को सुनिश्चित करते वैधानिक निर्देश सामने रखे हैं. अभी तक बच्चों की कस्टडी का जब मामला होता है तो मां बाप के बीच बहस में बच्चे फंसकर रह जाते हैं. बच्चों की रुचि का अक्सर ध्यान नहीं रखा जाता है.

इस ड्राफ्ट में यह भी मुद्दा रखा गया है कि बच्चों के सपोर्ट के लिए कुछ राशि कोर्ट को फिक्स करनी चाहिए जो कि 18 वर्ष की आयु तक बच्चों को मिले और इसे बढ़ाकर 25 वर्ष तक करने का भी प्रावधान होना चाहिए. अगर कोई बच्चा मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग है तो यह राशि उसे जीवन भर मिलनी चाहिए. अभी तक बच्चों की कस्टडी पर काम करने वाला 1980 का गार्जियंस एंड वॉर्ड्स एक्ट पैरेंटल राईट के आधार पर ही काम करता है.

Advertisement
Advertisement