पाकिस्तान की कैद में मौजूद कुलभूषण जाधव की रिहाई के लिए भारत ने राजनयिक दबाव बढ़ाने का फैसला किया है. विदेश मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो इस ममले में पाकिस्तान का रवैया अब भी सहयोग करने का नहीं है.
बिना चार्जशीट सुनाया फैसला?
सूत्रों की मानें तो कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा तो सुनाई गई, लेकिन पाकिस्तानी सेना की अदालत ने उन्हें कोई चार्जशीट तक सौंपने की जहमत नहीं उठाई. शुक्रवार को भारतीय उच्चायुक्त गौतम बंबावले ने पाकिस्तानी विदेश सचिव तहमीन जंजुआ से मिलकर चार्जशीट और फैसले की कॉपी मांगी थी. इसके बाद पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने मीडिया के सामने कुलभूषण के खिलाफ दायर चार्जशीट पढ़ी थी. लेकिन सूत्रों का दावा है कि इस तथाकथित चार्जशीट में कोई तारीख और समय नहीं है.
सहयोग को तैयार नहीं पाकिस्तान
इस्लामाबाद के अड़ियल रवैये की एक बानगी ये भी है कि भारत सरकार को कुलभूषण जाधव के ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. शुक्रवार को बंबावले ने एक बार फिर कुलभूषण जाधव से मिलने की इजाजत मांगी थी. मार्च 2016 के बाद ये चौदहवां ऐसा अनुरोध था. लेकिन पाकिस्तान सरकार अब तक इस मांग पर चुप्पी साधे हुए है.
कानूनी अपील ही इकलौता रास्ता?
ऐसे में जाधव की रिहाई के लिए इकलौती उम्मीद कानूनी रास्ता ही है. मिलिट्री कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाधव को निजी तौर पर ही अपील करनी होगी. लेकिन भारत सरकार इस काम में कानूनी मदद का रास्ता तलाश रही है. इसके लिए विदेश मंत्रालय लगातार जाधव के परिवार के संपर्क में है.
विदेश मंत्रालय का कड़ा रुख
विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में मामले पर कहा था कि पाकिस्तान को जाधव के खिलाफ कार्रवाई का खामियाजा आपसी संबंधों में भुगतना होगा. सरकार ने अभी से इस बात के संकेत देना शुरू कर दिया है. विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा जारी करने पर फिलहाल रोक लगा दी है. हालांकि मेडिकल और दूसरे मानवीय आधारों पर भारत आने वालों को इस रोक से परे रखा गया है. इसके साथ ही भारत ने अगले हफ्ते पाकिस्तान के साथ होने वाली समुद्री सुरक्षा वार्ता को रद्द कर दिया है.