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मोदी का बचाव करने वाले केपीएस गिल का बयान, 'राज्यपाल बूढ़ी वेश्या की तरह होते हैं'

गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी को पाक साफ बताने वाले पूर्व पुलिस अधिकारी केपीएस गिल ने एक और विवादास्पद बयान दिया है. एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने राज्यपाल जैसे सम्मानित संवैधानिक पद को 'बूढ़ी वेश्या' बता डाला है.

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केपीएस गिल
केपीएस गिल

गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी को पाक साफ बताने वाले पूर्व पुलिस अधिकारी केपीएस गिल ने एक और विवादास्पद बयान दिया है. एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने राज्यपाल जैसे सम्मानित संवैधानिक पद को 'बूढ़ी वेश्या' बता डाला है.

असम में एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, '1993 में राजेश पायलट ने मुझसे मणिपुर का राज्यपाल बनने के लिए रिक्वेस्ट की थी, पर मैंने मना कर दिया. राज्यपाल बूढ़ी वेश्या की तरह होते हैं, जो काम का इंतजार करते रहते हैं, पर उनके पास कोई काम नहीं होता. गवर्नर पद में मेरी दिलचस्पी कभी नहीं थी.' 1979 से 1985 के बीच असम आंदोलन के दौरान गिल प्रदेश में ही अपनी सेवाएं दे रहे थे.

गिल ने यह बात तब कही जब उनसे असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के उस दावे के बारे में सवाल किया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि 2004 में एनडीए सरकार गिल को राज्यपाल बनाना चाहती थी.

गोगोई ने यह भी आरोप लगाया था कि प्रफुल्ल कुमार महंत की अगुवाई वाली असम गण परिषद की सरकार के दौरान हुई 'गुप्त हत्याओं' के पीछे गिल ही थे. 1996 से 2001 के बीच शीर्ष उल्फा नेताओं के परिवार के लोगों की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी. आरोप लगा था कि महंत सरकार ने प्रतिबंधित संगठन उल्फा के सदस्यों पर सरेंडर का दबाव बनाने के लिए ये हत्याएं करवाई हैं. गिल ने इन आरोपों के जवाब में कहा, 'मैंने आज तक इतना बड़ा झूठ नहीं सुना.'

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पंजाब पुलिस चीफ रह चुके गिल पहले से ही विवादों में रहे हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा था कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2002 गुजरात दंगों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता. गिल गुजरात के मुख्यमंत्री के लिए बतौर सुरक्षा सलाहकार काम कर चुके हैं.

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