जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम सिस्टम में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव आमंत्रित किए हैं. इस ओर एक दिलचस्प सुझाव पूर्व बीजेपी नेता केएन गोविंदाचार्य ने दिया है. उनका कहना है कि जज के कैंडिडेट को एक हलफनामा भी देना चाहिए, जिसमें अन्य दूसरी जानकारी के साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाए कि उसका राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री आदि से क्या रिश्ता है.
डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के पूर्व ज्वॉइंट सेक्रेटरी डॉ. पीके सेठ और बीजेपी नेता ने अपने सुझाव में लिखा है, 'सांसद, विधायक और सिविल सेवा के अधिकारियों की तरह जज कैंडिडेट को भी एक डिक्लोजर एफिडेविट देना चाहिए. इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए और प्रतिज्ञान संविधान के अनुच्छेद 124 (6) और 219 की तीसरी अनुसूची का हिस्सा बनाया जा सकता है.'
सुझाव में आगे लिखा गया है कि हलफनामे में दूसरी जानकारियों के साथ ही कैंडिडेट को यह घोषणा भी करनी चाहिए कि उसका राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कानून मंत्री और सरकार के दूसरे अन्य मंत्रियों के साथ ही किसी सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के सीटिंग जज, रिटायर्ड जज, मुख्यमंत्री, राज्य के मंत्री, अटॉर्नी जनरल आदि से क्या संबंध है.
...तो नियुक्ति प्रक्रिया से हो जाएं अलग
बीजेपी नेता ने अपने सुझाव में लिखा है कि अगर कैंडिडेट का कोलेजियम सिस्टम और नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े किसी जज या दूसरे लोगों से संबंध है तो संबंधित व्यक्ति को खुद को प्रक्रिया से दूर कर लेना चाहिए. यही नहीं, अगर हलफनामे में दी गई जानकारी गलत पाई जाती है और इस दौरान जज की नियुक्ति और उसे कंफर्म भी कर दिया जाता है तो भी संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
गौरतलब है कि सुपीम्र कोर्ट की संविधान पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और एएसजी पिंकी आनंद को कॉलेजियम प्रणाली में सुधार पर सुझाव प्राप्त करने के लिए नामित किया है. यह पीठ कोलेजियम में पारदर्शिता , जरूरी योग्यता, कोलेजियम सेक्रिटारिएट और शिकायतों के निदान के क्षेत्र में सुझाव ले रही है.