नेता जोश में होते हैं, तो बोलते-बोलते कुछ भी बोल जाते हैं. जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव भी समाजशास्त्र का पाठ पढ़ाने लगे तो ऐसा बोल गए कि विवाद खड़ा हो गया.
शरद यादव सवाल खड़े कर रहे थे ब्रह्मचर्य पर, तो बोलते-बोलते अपशब्दों का इस्तेमाल कर बैठे. खाप पंचायत के तालीबानी फैसलों को लेकर भी शरद यादव समर्थक के तौर पर खड़े दिखे.
बाकायदा इसके लिए शरद यादव ने तर्क भी दिए और तर्क भी ऐसे कि सुनकर मन में सवाल उठ जाएं कि जब हमारे नेता ही ऐसा सोचते हैं तो फिर लोग कैसे इंसाफ के बारे में सोच सकते हैं.