बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को क्रिसमस का एक शानदार तोहफा मिला है. केरल के सबसे पुराने चर्च के पादरी ने मोदी का समर्थन किया है.
दुबई के अखबार खलीज टाइम्स ने लिखा है कि दुनिया के सबसे पुराने चर्च में से एक कैथोलिक्स ऑफ द ईस्ट ऐंड मलनकरा मेट्रोपोलिटन बैसेलियोस के प्रमुख मार थोमा पाउलोज-2 ने कहा है कि अगर मोदी सांप्रदायिक सद्भाव की गारंटी देते हैं तो उनका समर्थन करने में कोई हर्ज नहीं है.
एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि गुजरात में रहने वाले उनके चर्च के सदस्य राज्य के माहौल से बेहद खुश हैं. वहां निवेशक फ्रेंडली वातावरण है. वहां व्यापार करने वाले आसानी से अपना कारोबार करते हैं क्योंकि वहां लाल फीताशाही नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे गुजरात के चीफ मिनिस्टर के साथ बातचीत का मौका नहीं मिला है लेकिन अपने लोगों से मुझे जो जानकारी मिली है, उससे पता चलता है कि मोदी राज्य का भला कर रहे हैं. अगर वह ऐसा पूरे देश के लिए करते हैं तो उन्हें हमारा सपोर्ट मिलना चाहिए.
चर्च के इस स्वीकारोक्ति के बाद अब यह स्पष्ट है कि केरल में राजनीतिक समीकरण बदल गया है. वह अब तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और लेफ्ट के नेतृत्व वाले डेमोक्रेटिक फ्रंट से दूर-दूर रह रहा था. चर्च की संपत्ति के मामले में दोनों में से किसी ने उसका साथ नहीं दिया था.
इसके पहले सरकार के चीफ व्हिप पीसी जॉर्ज ने भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करने वाली एक रैली में शिरकत की थी जिसके कारण उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी. अब एक बड़े चर्च के पादरी का यह बयान केरल में मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को ही दर्शाता है. बताया जाता है कि केरल में संघ परिवार ऑर्थोडौक्स चर्च की सहानुभूति बटोरने का पूरा प्रयास कर रहा है.
केरल राज्य बीजेपी अध्यक्ष के सुरेन्द्रन ने मोदी की चर्च द्वारा प्रशंसा किए जाने को अल्पसख्यकों की धारणा में बदलाव का एक उदाहरण बताया. उनका मानना है कि यह गुजरात के मुख्यमंत्री को भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करने का बढ़ता हुआ संकेत है.