भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की और मलेशिया की ओर से कश्मीर मसले पर की गई टिप्पणी पर गहरी नाराजगी जताने के साथ ही दोनों देशों के बयान को पक्षपाती करार दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन और मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के बयान की निंदा करते हुए नसीहत दी कि पहले बोलने के पहले जमीनी हकीकत पर ध्यान दें.
रवीश कुमार ने आलोचना करते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने जमीनी हकीकत को जाने बिना यह टिप्पणी की और उन्हें आगे से इस प्रकार की टिप्पणी करने से बचना चाहिए.
मलेशियाई PM ने क्या कहा था?MEA on Malaysia raising Kashmir issue at UNGA: J&K signed Instrument of Accession like all other princely states, Pak invaded & illegally occupied parts of J&K. Govt of Malaysia should bear in mind the friendly relations between the 2 countries & desist from making such remarks. https://t.co/UYBFK8235x pic.twitter.com/WWBXwzZcYv
— ANI (@ANI) October 4, 2019
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने अपने संबोधन में कहा था कि जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद, देश पर हमला किया गया है और कब्जा कर लिया गया है. ऐसा करने के कारण हो सकते हैं, लेकिन यह फिर भी गलत है. उन्होंने आगे कहा था कि भारत को चाहिए कि वह पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करे और इस समस्या का समाधान करे.
मलेशिया के रुख की निंदा करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने अन्य सभी रियासतों की तरह भारत के साथ विलय का फैसला किया. जबकि पाकिस्तान ने हमला किया और राज्य के एक हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया. मलेशिया की सरकार को दोनों देशों के बीच के दोस्ताना संबंधों को ध्यान में रखना चाहिए और ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए.
Raveesh Kumar MEA on Turkey raising Kashmir issue at UNGA: We call upon the Turkey govt to get a proper understanding of the situation on the ground before they make any further statements on this issue. It is a matter which is completely internal to India. pic.twitter.com/1kyo4xGLEr
— ANI (@ANI) October 4, 2019
मलेशिया की तरह तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद आठ लाख लोग कैद में हैं. तुर्की पर रवीश कुमार ने कहा कि हम तुर्की सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस मुद्दे पर कोई और बयान देने से पहले जमीनी हकीकत को ठीक प्रकार से समझ ले. यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है.