मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार ने कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित कर लिया है. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 16 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने से येदियुरप्पा के लिए बहुमत साबित करना आसान हो गया.
इस निर्णायक घड़ी से ठीक पहले विधानसभा अध्यक्ष ने 16 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था. इनमें से 11 विधायक बीजेपी के हैं, जबकि 5 विधायक निर्दलीय है. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही इन अयोग्य विधायकों ने लॉबी में आकर खूब हंगामा किया.
इससे पहले कर्नाटक में सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले संवैधानिक जंग छिड़ गई थी. बवाल की वजह है राज्पाल एचआर भारद्वाज की एक चिट्ठी रही. चिट्ठी में राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष बोपैया को बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने से बाज आने को कहा था. उन्होंने लिखा कि विधायकों की सदस्यता रद्द करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ होगी. राज्यपाल की इस चिट्ठी को स्पीकर ने विधानसभा अध्यक्ष के कामकाज में हस्तक्षेप करार दिया है.
उन्होंने जवाबी चिट्ठी में लिखा, ''मैं आपके इस बयान से हैरान हूं कि 'ऐसी गलत प्रक्रिया से आए नतीजे स्वीकार नहीं किए जाएंगे'. मैं आपसे गुजारिश करता हूं कि दो सियासी पार्टियों के बीच की इस लड़ाई में आप तटस्थता बरकरार रखें जैसा कि राज्यपाल के पद की परंपरा रही है. ''राज्यपाल की चिट्ठी से खफा बीजेपी ने तो केंद्र से राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग तक कर दी.