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सुप्रीम कोर्ट में नए जजों का शपथग्रहण, विवादों के अंत की उम्मीद

इन तीन नियुक्तियों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 25 हो गई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 31 हैं. यानी अभी भी छह पद खाली हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर काफी लंबे समय तक चले विवाद के बीच जस्टिस के. एम. जोसेफ समेत कुल तीन जजों ने देश की सबसे बड़ी अदालत के जज के रूप में शपथ ले ली है.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने अपने अदालत कक्ष में आयोजित पारंपरिक समारोह में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस के एम जोसेफ को पद की शपथ दिलाई. समारोह के दौरान अदालत कक्ष खचाखच भरा था. यहां तक कि सभी दरवाजे खुले रखने पड़े. समारोह के दौरान अदालत कक्ष में वकीलों, संवाददाताओं और अदालत कर्मचारियों के अलावा नवनियुक्त जजों के परिजन भी मौजूद थे.

परंपरा के मुताबिक, किसी भी जज के शपथग्रहण  समारोह में डाइस पर सभी जज मौजूद होते हैं. शपथ लेने वाले जज पहले दिन चीफ जस्टिस के साथ बैठ कर अदालती कार्रवाई में हिस्सा लेते हैं. ज़्यादा जजों का शपथ ग्रहण होने पर क्रम से दो नंबर और तीन नंबर अदालतों में उन्हें बैठाया जाता है.

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जस्टिस इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के 68 साल के इतिहास में आठवीं महिला जज हो गई हैं. साथ ही पहली बार ऐसा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन महिला जज होंगी. इससे पहले एक समय मे अधिकतम दो महिला जज ही सुप्रीम कोर्ट में रही हैं.

हालांकि कुछ जजों और कानून के जानकारों ने जस्टिस के एम जोसेफ की नियुक्ति में वरिष्ठता क्रम पर सवाल उठाए थे. जस्टिस जोसेफ का नाम शपथ लेने वाले तीन जजों में आखिरी करने से सरकार की नीयत पर उठ रहे सवालों पर सफाई दे रही केंद्र सरकार ने कहा है कि इस दलील में कोई दम नहीं है.

सोमवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों ने CJI दीपक मिश्रा को केंद्र के जस्टिस के एम जोसेफ की वरिष्ठता में दखल देने पर आपत्ति जताई थी. जस्टिस मदन भीमराव लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी को इस मामले में सरकार की भूमिका संदिग्ध लगी. क्योंकि सरकार के सर्कुलर के मुताबिक, तो जस्टिस जोसेफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस विनीत सरन के बाद शपथ लेंगे और दोनों से जूनियर हो जाएंगे. जबकि पहली बार उनकी सिफारिश जनवरी में ही की गई थी. CJI ने उन्हें केंद्र से बात करने का भरोसा दिलाया. इसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से बात भी की.

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वहीं केंद्र इस पूरे मामले में अपने कदम को सही ठहरा रही है. केंद्र की दलील है कि वरिष्ठता के मामले में जस्टिस जोसेफ , जस्टिस बनर्जी और जस्टिस सरन के पीछे हैं. अखिल भारतीय न्यायमूर्ति वरिष्ठता क्रम में जस्टिस बनर्जी चौथे नंबर पर, जस्टिस सरन पांचवें नंबर पर जबकि जोसेफ जस्टिस 39 वें नंबर पर रहे हैं. सरकार की दलील है कि वरिष्ठता क्रम तय करने में पहले से चली आ रही परंपरा का ही पालन किया गया है. ये वही परंपरा है जिनका पालन पिछली सरकारे भी करती रही हैं.

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