तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता आज भले ही किवदंती के तौर पर याद की जा रही हों लेकिन क्या आप इस फैक्ट से वाकिफ हैं कि वह सिर्फ दसवीं तक पढ़ी थीं.
जिसकी बीमारी की खबरों पर ही तमिलनाडु की सड़कें सूनी पड़ जाया करती हों. जिसके बिना समकालीन तमिल राजनीति की कल्पना बेमानी सी लगती हो. जिसके समर्थक उसे अम्मा और पुरात्ची थलाईवी यानी क्रांतिकारी नेता पुकारते रहे हों. गौरतलब है कि दसवीं में स्टेट टॉपर होने के बाद भी उनकी आगे की पढ़ाई पर ब्रेक लग गया. इसके बावजूद उनकी इंग्लिश पर पकड़ इतनी मजबूत थी कि बीते जमाने की तमिल राजनीति में दिग्गज एम.जी.रामचंद्रन न सिर्फ उन्हें राजनीति की धारा में खींच लाए बल्कि वह धीरे-धीरे तमिल राजनीति की केन्द्रबिन्दु बन गईं.
जयललिता को पड़ा दिल का दौरा...
आसान नहीं रहा सफर...
आज भले ही जे जयललिता की कहानी किसी फिल्मी नायिका सरीखी लग रही हो लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. उन्होंने अपना बचपन बेहद गरीबी में काटा. महज दो साल की उम्र में अपने पिता को खो चुकीं जयललिता पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल थीं. चेन्नई के स्कूल Presentation Senior Secondary School में दसवीं के पढ़ाई के दौरान वह टॉपर रहीं और उन्हें राज्य स्तर पर गोल्डन स्टेट अवॉर्ड भी मिला.
दसवीं की परीक्षा में स्टेट टॉपर होने पर Stella Marris College में मिल रहे एडमिशन को ठुकराया. वह अंग्रेजी के अलावा तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिन्दी पर भी बराबर की पकड़ रखती थीं. एम.जी.आर की उन पर पड़ी नजर के पीछे उनका अंग्रेजी ज्ञान बड़ी वजह माना जाता है.
'अम्मा' के लिए दुआओं का दौर, रातभर अस्पताल के बाहर जुटे रहे समर्थक
वकालत के पढ़ाई की थी इच्छा...
आज भले ही उन्हें भारत के अग्रणी राज्य की मुख्यमंत्री के तौर पर याद किया जाता है. तमिल राजनीति की केन्द्रबिंदु के तौर पर उद्धरित किया जाता हो लेकिन वह अपने साक्षात्कारों में इस बात को कहती रही कि फिल्मी दुनिया या राजनीति उनका पहला प्यार नहीं था. वह हमेशा से लॉ की पढ़ाई करना चाहती थीं लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था. आज भले ही कई मानद डॉक्टरेट की उपाधियों से नवाजा जा चुका हो लेकिन उन्हें अपनी पढ़ाई पूरा न कर पाने का हमेशा ही बेहद अफसोस रहा.