जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए पीडीपी को जिम्मेदार ठहराया. बीजेपी का आरोप था कि राज्य की महबूबा मुफ्ती सरकार उनके शांति और डिवेलप्मेंट के एजेंडे पर खरी नहीं उतरी इसलिए उन्हें मजबूरी में समर्थन वापस लेना पड़ा.
जम्मू कश्मीर में गठबंधन सरकार के कामकाज को लेकर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व को जो ग्राउंड रिपोर्ट मिली थी उसके मुताबिक जम्मू, उधमपुर और लद्दाख में पार्टी का जनाधार कमजोर हो रहा था. आपको बता दें कि इन जगहों पर बीजेपी की अच्छी पकड़ है.
इन क्षेत्रों में जनाधार कमजोर होने का कारण यह है कि केंद्र सरकार से विकास के लिए मिलने वाले फंड का उपयोग और राज्य सरकार की सारी योजनाएं घाटी तक ही सीमित थीं. उसके साथ ही धारा 370, धारा 35A और कश्मीरी पंडितों को घाटी में पुनर्विस्थापित करना जैसे कोर मुद्दे कॉमन मिनियम प्रोग्राम के एजेंडे के चलते ठंडे बस्ते में चले जाने से बीजेपी का कोर वोटर भी नाराज़ हो गया था.
इसलिए बीजेपी ने सोची समझी रणनीति के तहत जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 23 जून को बलिदान दिवस से ठीक चार दिन पहले महबूबा मुफ़्ती की सरकार से समर्थन वापस लेकर एक बार फिर राष्ट्रवाद पर संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम किया.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस 23 जून से बीजेपी जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन राष्ट्रवाद की शुरुआत करेगी. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जम्मू में एक बड़ी रैली करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक तो बीजेपी सुप्रीम कोर्ट में धारा 35A पर अपना रूख आक्रामक रूप से रखेगी. पार्टी पूरी कोशिश करेगी कि जम्मू कश्मीर से धारा 35A हट जाए. क्योंकि बीजेपी का मानना है कि कश्मीर की 40 प्रतिशत समस्या धारा 35A को हटाने से ख़त्म हो जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की रणनीति ये है कि ऑपरेशन राष्ट्रवाद के साथ-साथ जम्मू, उधमपुर और लद्दाख़ में ज़्यादा से ज़्यादा डिवेलपमेंट के प्रोजेक्ट शुरू किए जाएं और जो प्रोजेक्ट पूरे नहीं हुए हैं उन्हें चुनाव से पहले पूरा करने की समय सीमा तय की जाए.
बीजेपी ने महबूबा मुफ़्ती सरकार से समर्थन वापस लेकर न सिर्फ़ जम्मू कश्मीर में बल्कि पूरे देश में ऑपरेशन राष्ट्रवाद और विकास का एजेंडा चलाकर 2019 के चुनाव में अपने पक्ष में माहौल बनाने की मुहिम 23 जून को श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस से शुरू करेगी.