जामिया हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि आप स्टूडेंट हैं, इसलिए आपको हिंसा करने का अधिकार नहीं मिल जाता है. अब इस मामले में मंगलवार को सुनवाई होगी, लेकिन हम चेतावनी देते हैं कि अगर प्रदर्शन, हिंसा और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाता है तो हम सुनवाई नहीं करेंगे.
याचिकाकर्ता ने रिटायर जजों की जांच कमेटी बनाने की मांग की है, ताकि पुलिस कोई कार्रवाई न करे. इस पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा.
चीफ जस्टिस ने कहा, हम वीडियो (कोर्ट को एक वकील ने जामिया हिंसा के वीडियो की जानकारी दी) नहीं देखना चाहते. अगर हिंसा जारी रहेगी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता रहेगा तो हम सुनवाई नहीं करेंगे. चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा, हम अधिकार सुनिश्चित करेंगे लेकिन हिंसा के माहौल में नहीं. यह सब कुछ थमने दीजिए उसके बाद स्वतः संज्ञान लिया जाएगा. हम अधिकारों और शांतिपूर्प प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं.
Chief Justice of India SA Bobde, 'We will determine the rights but not in the atmosphere of riots, let all of this stop and then we will take suo motu cognizance. We are not against rights and peaceful demonstrations' https://t.co/gAF5Va7HKo
— ANI (@ANI) December 16, 2019
बता दें, रविवार को दक्षिण दिल्ली में नाराज भीड़ ने पुलिसकर्मियों, आम नागरिकों व मीडिया को निशाना बनाया था. नाराज भीड़ ने दक्षिणी दिल्ली को कब्जे में ले लिया. प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने व पुलिस के साथ झड़प के पांच घंटे बाद पुलिस ने जामिया नगर में फ्लैग मार्च किया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे. हिंसक भीड़ ने पुलिसकर्मियों की बड़ी टुकड़ी से संघर्ष किया और मीडिया पर भी पथराव किया.
नाराज भीड़ ने बसों को आग लगा दिया या क्षतिग्रस्त किया और इसके अलावा कारों व एक बाइक को निशाना बनाया. पथराव में दो दमकल अधिकारी घायल हो गए. नए नागरिकता अधिनियम को लेकर दक्षिण दिल्ली में करीब एक घंटे तक प्रदर्शन चला.(एजेंसी से इनपुट)