जाने-माने लेखक रस्किन बांड ने कहा कि पश्चिम के देशों में साहित्य पुरस्कार के लिए लिखा जाता है, जबकि भारत जैसे देशों में लेखक शौकिया तौर पर लिखते हैं.
19वें नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में शिरकत करने आये जाने माने लेखक रस्किन बांड ने कहा कि यूरोप एवं राष्ट्रमंडल देशों के लेखक बूकर जैसे अन्य पुरस्कारों के लिए लिखते हैं, जबकि भारत में लेखक केवल इसलिए लिखता है, क्योंकि उसे लिखने का शौक है.
1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1999 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित लेखक ने कहा कि अंग्रेजी में काफी बाल साहित्य लिखे जाने की गुंजाइश है और इस पर आगे आकर लोगों को लिखना चाहिए, क्योंकि प्रकाशन उद्योग में काफी बदलाव आ गया हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान वक्त में प्रकाशन उद्योग काफी आगे बढ़ गया है. 70 और 80 के दशक के दौर में आज के जैसा माहौल नहीं था कि कोई लेखक कुछ किताबें लिखकर ही पाठकों के बीच लोकप्रिय हो जाये.
उनके पसंद के लेखकों के बारे में पूछे जाने पर रस्किन बांड ने कहा कि उन्हें रवीन्द्रनाथ टैगोर, रुडयार्ड किपलिंग और चार्ल्स डिकेन्स बेहद पसंद हैं. नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के पहले दिन रस्किन बांड रूपा एंड कंपनी के स्टाल में आये. 250 से अधिक स्कूली बच्चे अपने प्राध्यापकों के साथ स्टॉल में आए हुए थे और रस्किन बांड की आटोग्राफयुक्त किताब ले रहे थे.
द इंडियन पब्लिक स्कूल के कक्षा 5 में पढ़ने वाले अंशुल ने बताया कि मम्मी ने केवल 200 रुपये दिए हैं और वह जो किताबें खरीदना चाहते है, उन्हें इतने कम में नहीं खरीदा जा सकता. इसी स्कूल में कक्षा नवमीं के छात्र सचेत ने बताया कि उनकी इच्छा थी कि वे रस्किन बांड से बात करें, लेकिन भीड़ इतनी अधिक होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाये.