धनराज पिल्लै ने भले ही राष्ट्रीय टीम का मुख्य कोच बनने की इच्छा जताई हो लेकिन स्पेनिश कोच जोस ब्रासा का मानना है कि कोई विदेशी कोच ही भारतीय हाकी को र्ढे पर ला सकता है और उन्हें अभी भी अपने अनुबंध के नवीनीकरण ही उम्मीद है.
ब्रासा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारतीय हाकी टीम को विदेशी कोच की ही जरूरत है. भारतीय कोच से समस्या हल नहीं होने वाली.’ उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय खिलाड़ियों और व्यवस्था को भली भांति समझने के कारण वह ओलंपिक के लिये टीम को बखूबी तैयार कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं भारतीय टीम की बेहतर तरीके से मदद कर सकता हूं. मैं खिलाड़ियों को अच्छी तरह जानता हूं और मुझे पता है कि उनसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कैसे कराना है. वैसे भी कोई और विदेशी कोच भारत में व्यवस्था से घबराकर कुछ दिन में भाग जायेगा. मैं ही वहां टिककर काम कर सकता हूं और करना चाहता हूं.’
ब्रासा का अनुबंध 30 नवंबर को समाप्त हो गया. अपने करीब 18 महीने के कार्यकाल में भारतीय खेल प्राधिकरण और हाकी इंडिया से उनकी ठनती रही जिससे उनके अनुबंध के नवीनीकरण की संभावना कम ही लग रही है. इस बीच पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै और सिंगापुर में बसे पूर्व मिडफील्डर जूड फेलिक्स के नाम भी कोच की दौड़ में जुड़े हैं.
अपने कार्यकाल में भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में रजत, एशियाड में कांस्य और अजलन शाह कप में खिताब जीत दिलाने वाले ब्रासा को हालांकि अभी भी अनुबंध के नवीनीकरण की उम्मीद है.{mospagebreak}
ब्रासा ने कहा,‘मुझे लगता है कि मेरे अनुबंध का नवीनीकरण नहीं करने का कोई कारण नहीं है. भारतीय टीम ने मेरे कार्यकाल में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. सिर्फ नतीजों पर ना जायें और खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर गौर करें तो भी यह साबित हो जायेगा.’
उन्होंने कहा,‘मैं चाहता हूं कि हाकी इंडिया और साइ टीम के हित में सही फैसला ले. मुझे यकीन है कि इस टीम में लंदन ओलंपिक 2012 के लिये न सिर्फ क्वालीफाई करने और पदक जीतने का माद्दा है लेकिन उसे उचित प्रशिक्षण देने की जरूरत है.’ इन दिनों मैड्रिड में कोचिंग पर एक कार्यशाला में भाग ले रहे ब्रासा ने भविष्य के बारे में पूछने पर कहा कि फिलहाल उन्हें भारत से जवाब का इंतजार है.
ब्रासा ने कहा,‘मैं भारत से जवाब का इंतजार कर रहा हूं. मैं हाकी और कोचिंग के बिना नहीं रह सकता. यदि भारत लौटना नहीं होता है तो स्पेन में या बाहर किसी टीम के साथ जुड़ सकता हूं.’ ब्रासा को साइ से बकाया रकम का भी इंतजार है लेकिन उनके ईमेल का फिलहाल कोई जवाब नहीं मिल रहा.
उन्होंने कहा, ‘नवंबर महीने के मेरे खर्च, टीम को मिले पदक पर पारितोषिक अभी भी बकाया है. हाकी इंडिया, साइ और खेल मंत्रालय को मै हर दूसरे दिन ईमेल भेजता हूं लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.’भारत से रवाना होने से पहले साइ महानिदेशक सायन चटर्जी ने ब्रासा को जल्दी ही सारे बकाया का भुगतान करने का वादा किया था.
यह पूछने पर कि क्या उन्हें भारतीय हाकी से जुड़ने का कोई मलाल है, ब्रासा ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं. मुझे भारतीय खिलाड़ियों से बहुत लगाव हो गया था और अभी भी मैं उनके संपर्क में हूं.’