भारतीय दुनिया में सबसे ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं. इसका खुलासा इस तथ्य से होता है कि 80 प्रतिशत भारतीय अपनी वर्तमान नौकरी को छोड़कर किसी ऐसे संस्थान में जाना चाहते हैं, जो उन्हें बेहतर विकास का भरोसा दे सके.
मा फोई रैनस्टाड वर्कमानिटर सर्वेक्षण के अनुसार, प्रत्येक दस में आठ भारतीय कर्मचारी अपनी नौकरी बदलना चाहता है. इस सर्वेक्षण के अनुसार, वैश्विक मोबिलिटी इंडेक्स में भारत 141 अंक के साथ शीर्ष पर बना हुआ है. इस इंडेक्स का सीधा मतलब यह है कि भारतीय कर्मचारी नौकरी बदलने में सबसे आगे हैं. इस मामले में भारत के बाद चीन और मेक्सिको का नंबर आता है. यह इंडेक्स इस बात का संकेतक है कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारतीय कर्मचारी छोटी सी अवधि में ही किस तरह नौकरी बदलने का विचार कर रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 से 34 साल के आयुवर्ग के कर्मचारियों द्वारा नौकरी बदलने की संभावना सबसे अधिक है. मा फोई रैनस्टाड (भारत और श्रीलंका) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पांडिया राजन ने कहा, ‘‘इस सर्वेक्षण से एक और बात सामने आती है कि कर्मचारी ऐसे संगठन में जाना चाहते हैं, जो उनके आगे बढ़ने की योजना को बेहतर तरीके से पूरा कर सकते हैं.’’{mospagebreak}रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, चीन और मेक्सिको को ज्यादातर कर्मचारियों का मानना है कि उन्हें नई नौकरी मिल जाएगी. हालांकि, सर्वेक्षण में एक अच्छी बात यह सामने आई है कि भारतीय कंपनियां कर्मचारियों का ज्यादा ध्यान रखती हैं. चीन के सिर्फ 50 फीसद कर्मचारी ऐसे थे, जो अपनी कंपनी से संतुष्ट थे. वहीं 73 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों का कहना था कि वे अपनी कंपनी से संतुष्ट हैं. नियोक्ता से संतुष्ट कर्मचारियों का वैश्विक औसत 68 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि मंदी के दौर का फायदा उठाने में भारतीय कर्मचारी आगे रहे हैं. भारतीय कर्मचारियों ने इस मौके पर अपने पेशेवराना रुख को और मजबूत किया है. यह स्थिति तब है जब चीन में प्रशिक्षण पर निवेश भारत से कहीं ज्यादा है. इस सर्वेक्षण में करीब 25 देशों के कर्मचारियों को शामिल किया गया है.