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‘काश! हमारा पाकिस्तान भी भारत जैसा होता...’

पाकिस्तान से आए धार्मिक जत्थे ने हिन्‍दुस्‍तान की दिल खोलकर तारीफ की है. धार्मिक जत्‍थे के सदस्यों ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र देश है जहां सभी जातियों, धर्मों व लोगों को बराबरी का दर्जा मिलता है. यहां अतिथि को भगवान माना जाता है और अलग-अलग जाति, धर्म व संस्कृति के लोग मिल जुलकर रहते हैं, इसलिए भारत बेमिसाल है.

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पाकिस्तान से आए धार्मिक जत्थे ने हिन्‍दुस्‍तान की दिल खोलकर तारीफ की है. धार्मिक जत्‍थे के सदस्यों ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र देश है जहां सभी जातियों, धर्मों व लोगों को बराबरी का दर्जा मिलता है. यहां अतिथि को भगवान माना जाता है और अलग-अलग जाति, धर्म व संस्कृति के लोग मिल जुलकर रहते हैं, इसलिए भारत बेमिसाल है.

धार्मिक जत्थे में शामिल एक व्यक्ति ने कहा, ‘काश! मेरा जन्म भारत में ही हुआ होता तो मुझे इस पाक जमीं पर आने के लिए 23 बरस इंतजार न करना पड़ता.’ एक अन्य ने कहा, ‘यहां जिस तरह मान-सम्मान व अपनापन मिला, वैसा अपने देश में भी नहीं मिला था.’

पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए गोपाल कहते हैं कि भारत आकर जो खुशी मिली उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. यही वो धरती है जिसमें सारे धर्मों, जातियों व लोगों को समेटने और भरपूर प्यार करने की क्षमता है.

गोपाल का कहना है कि कई वर्षों से वे भारत आने और इस धरती को करीब से देखने के इच्छुक थे, पर 23 वर्षों बाद उन्हें यह मौका मिला. भारतीयों से मिले मान-सम्मान व स्वागत से अभिभूत होकर वह कहते हैं, ‘सुना तो था कि भारत में अतिथि को भगवान का दर्जा दिया जाता है, यहां आकर यह देख भी लिया.’

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विदित हो कि 184 श्रद्धालुओं का जत्था पाकिस्तान से अमृतसर के रास्ते यहां पहुंचा है. जत्थे में शामिल लोग इन दिनों रायपुर के शदाणी दरबार में ठहरे हुए हैं. इसमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल हैं. पाकिस्तानी यात्री छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थलों के दर्शन करने के बाद हरिद्वार, वैष्णो देवी, शिमला, दिल्ली व अमृतसर भी जाएंगे. यह जत्था 8 जून को पाकिस्तान लौट जाएगा.

जत्थे में पाकिस्तान के चार प्रांतों के अल्पसंख्यक हिंदू शामिल हैं. वहां के हालात के बारे में पूछने पर पाकिस्तानी श्रद्धालु हिचकते हुए कहते हैं, ‘वहां की आवाम बहुत ही अच्छी है. आम लोगों से कोई खतरा नहीं है, मगर सियासी लोगों व कट्टरपंथी ताकतों की वजह से हर वक्त दंगे-फसाद की आशंका बनी रहती है.’ वे यह बताना भी नहीं भूलते कि उन्हें अपने-धार्मिक रीति रिवाजों के पालन में वहां कोई कठिनाई नहीं है.

सिंध के घोटकी जिले से आए रतनलाल वंजारा कहते हैं कि वहां और यहां बहुत सी समानताएं हैं. पाकिस्तान की ही तरह भारत की आवाम भी अच्छी है.

बहरहाल, पाकिस्तानियों से मिलने व उनसे बात करने पर यह स्पष्ट होता है कि वे भी दोनों देशों के बीच दोस्ती व अमन के पक्षधर हैं. उनकी इच्छा है कि भारत की ही तरह पाकिस्तान में भी लोकतंत्र कायम हो और अमन का वातावरण बने. जिस तरह भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं उसी तरह पाकिस्तान के भी हिंदू अल्पसंख्यकों को सुरक्षा व विकास का वातावरण मिले. पाकिस्तानियों की हार्दिक इच्छा है कि पाकिस्तान भी भारत की तरह शांत, समृद्ध व खुशहाल बने.

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