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'बेशक जान चली जाए, पाकिस्‍तान नहीं जाएंगे'

रोती महिलाएं, सहमे हुए से पुरुष, बिलखते बच्चे, सिसकती बच्चियां. यही तस्वीर है पाकिस्तान से आए हिंदुओं के उस जत्थे का जो इन दिनों दिल्ली के बिजवासन इलाके में आसरा लिए हुए है. इनका वतन पाकिस्तान जरूर है लेकिन यहां आने के बाद यहां से वापस जाने के लिए कोई तैयार नहीं है.

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पाकिस्तानी हिंदुओं का दर्द
पाकिस्तानी हिंदुओं का दर्द

रोती महिलाएं, सहमे हुए से पुरुष, बिलखते बच्चे, सिसकती बच्चियां. यही तस्वीर है पाकिस्तान से आए हिंदुओं के उस जत्थे का जो इन दिनों दिल्ली के बिजवासन इलाके में आसरा लिए हुए है. इनका वतन पाकिस्तान जरूर है लेकिन यहां आने के बाद यहां से वापस जाने के लिए कोई तैयार नहीं है. अलबत्ता अजीबोगरीब कहानियों का जखीरा जरूर खड़ा हो गया है. किसी के मां-बाप पाकिस्तान में छूट गए हैं तो किसी का दूधमुंहा बच्चा वहां छीन लिया गया है.

दीया-बाती नाम को सार्थक करते आंखों से बहते आंसू. दीया-बाती के मां-बाप पाकिस्तान में ही छूट गए हैं. वजह, पाकिस्तानी सरकार की ओर से मां-बाप को वीजा न दिया जाना.

एक शख्‍स है लक्ष्मण. आंखों से अंधे हैं. दिखता नहीं है लेकिन अब भारत आकर नई जिंदगी बनाने के सपने आंखों में बस चुके हैं. लेकिन इनकी त्रासदी ये है कि इनके बेटे और बहु को पाकिस्तान में रोक दिया गया है जबकि इनके 9 महीने का पोता इनके साथ भारत आ गया.

पाकिस्तान की भारती इस वक्त भारत में है लेकिन उसकी आंखों में अपने उस बच्चे का चेहरा घूम रहा है जिसे उससे पाकिस्तान में ही छीन लिया गया था जब वो सिर्फ 3 दिन का ही था. वो भी ऐन भारत आने से पहले.

एक महिला है पूजा जो यहां मौजूद लोगों के लिए चाय बना रही है लेकिन इसके दिल में बसा दर्द इस खौलती चाय से भी ज्यादा गर्म है क्योंकि पूजा के 3 साल के बेटे को भारत आने से रोक दिया गया.

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दरअसल पाकिस्तान से 480 लोग टूरिस्ट वीजा पर भारत की यात्रा पर आए थे. इनके वापस पाकिस्तान लौटने की मियाद 7 अप्रैल को खत्म भी हो गई थी लेकिन इन्हें 1 महीने का एक्सटेंशन मिल गया है. कुछ दिनों की मोहलत जरूर मिली है लेकिन पाकिस्तान में जिस हालात में इनकी जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ रही है, इनकी अब यही तमन्ना है कि बेशक जान चली जाए लेकिन अब ये वापस नहीं जाएंगे.

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