इंडिया टुडे कॉन्क्लेव-2015 के पहले दिन के अंतिम सेशन में अफगानिस्तान के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर(सीईओ) डॉ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने शिरकत की. शुरुआती भाषण के बाद डॉ. अब्दुल्ला ने कॉन्क्लेव-2015 में आने पर खुशी जताते हुए कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अफगानिस्तान की काफी मदद की.
मोदी सरकार के बारे में अब्दुल्ला ने कहा कि
मोदी सरकार नई आशाएं लेकर आई है. न सिर्फ भारत के लिए बल्कि दूसरे देशों के लिए भी. एक प्राइवेट ट्रिप के दौरान कुछ हफ्तों पहले मैंने मोदी से मुलाकात की थी. मोदी अफागनिस्तान में मदद के लिए तत्पर दिखाई देते हैं. मोदी को देखकर लगता है कि वो भारत को बेहतर अवसर देंगे. पिछली सरकारों की तुलना में मोदी से ज्यादा उम्मीदें हैं.
आगे जानिए वो खास बातें, जो डॉ अब्दुल्ला ने इस सेशन में कही.
1. पिछले कुछ सालों में अफगानिस्तान में काफी बदलाव हुए हैं. अफगानिस्तान के लोगों ने काफी संघर्ष किया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान की काफी मदद की. अफगानी लोग आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में की गई मदद के लिए भारत के शुक्रगुजार हैं.
2. अलकायदा अफगानिस्तान के लिए लंबे वक्त तक मुसीबत रहा. अगर बेहतर सुविधाएं न मिली होती तो अफगानिस्तान बेहतरी की तरफ न बढ़ पाता.
3. साल 2008 और 2009 की शुरुआत में मैंने चुनावों में उतरने का फैसला किया. तब मैं विपक्ष में था. मैं चुनाव और उससे जुड़ी बारीकियों में नहीं जाऊंगा. लेकिन अफगानिस्तान में एक सरकार बनी. ये महत्वपूर्ण है.
4. बीते 13-14 सालों में भारत की मदद के लिए मैं शुक्रगुजार हूं. क्षमता निर्माण, शिक्षा, सेहत और स्वास्थ्य में भारत की मदद के लिए मैं शुक्रिया अदा करता हूं. भारत का अफगानिस्तान की मदद के लिए जो कमिटमेंट हैं, वो प्रशंसा के लायक है.
5. हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. भ्रष्टाचार, तालिबान कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. हमें आशा है कि आने वाले कुछ दिनों में कैबिनेट के गठित होने के बाद हम लोगों को कुछ बेहतर दे पाएंगे. ये हमारी बड़ी जिम्मेदारी है कि हम अपने सहयोगियों की हर संभव मदद करें.
6. हमारा ये दायित्व है कि सेंट्रल एशिया के सभी लोगों के लिए काम करें. हमारे सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. भारत की वजह से मेरे लिए कई एडवाटेंज है. मैं इंडिया टुडे कॉन्क्लेव का धन्यवाद करता हूं. भारत दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है. मुझे इस कार्यक्रम में आकर खुशी है.
7. सीईओ की भूमिका: हमारे सिस्टम में सीईओ की भूमिका पीएम की तरह ही होती है. लेकिन ये पीएम के समकक्ष नहीं होता है. इसका कार्यकाल दो साल का होता है. ये एक एग्रीमेंट की तरह होता है. देश का बॉस राष्ट्रपति होता है. सीईओ की भूमिका एग्रीमेंट में विस्तारपूर्वक बताई गई है.
8. सरकार में होने के नाते आपको बहस करनी होती है. आपके लक्ष्य बड़े होते हैं. मैं सीईओ बनकर खुश हूं. देश के विजन के बारे में किसी भी नेता के बीच कोई मतभेद नहीं है. नेतृत्व अलग होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. मुख्य मुद्दा विकास ही है.
9. भारत-अफगान रिश्ते: ये काफी लंबी प्रक्रिया के बाद होता है. कुछ प्रक्रियाओं की वजह से ज्यादा वक्त लगता है. मैं इसके लिए किसी को दोषी नहीं मानता हूं. मैं भी इसके लिए बराबर जिम्मेदार हूं.
10. आतंकवाद: आतंकवाद हर देश के लिए समस्या है. अफगानिस्तान के अलावा पाकिस्तान भी इस बात को स्वीकार करेगा कि आंतकवाद किसी भी देश के लिए सही नहीं है.