चीनी फौज लद्दाख में भारतीय जमीन से पीछे हट गई. बगैर कोई सख्ती दिखाए भारत ने चीन को पीछे हटने पर राजी कर लिया. रविवार शाम जब यह खबर आई तो विवाद सुलझने पर हर किसी ने राहत की सांस ली. लेकिन, अब खबर है कि चीन ने ऐसे ही अपनी जिद नहीं छोड़ी, बल्कि उसे राजी करने में भारत को सामरिक दृष्टि से अहम चुमार पोस्ट हटाने पर राजी होना पड़ा.
20 दिन बाद चीनी फौज भारतीय सीमा के 19 किलोमीटर भीतर पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी से हटने को राजी हो गई लेकिन, चीन से झगड़ा सुलझने से देश में जितनी खुशी है, उतनी ही चिंताएं भी हैं. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अड़ियल चीन कैसे मान गया?
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी सोमवार को अपनी चिंता जताते हुए कहा था, ‘केवल यही एक संदेह है कि मीडिया की खबरों में कहा गया कि दोनों पक्ष पीछे हटे. भारत और चीन पीछे हटे. मैं इसे लेकर विस्मित हूं कि भारत कहां से हटा और भारत को कहां से हटना था क्योंकि यह हमारा क्षेत्र है, यह वास्तविक नियंत्रण रेखा का हमारा क्षेत्र है.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा का नियमिति उल्लंघन करते रहे हैं, लेकिन यह लंबे समय बाद हुआ कि चीनियों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के भारतीय क्षेत्र में तंबू लगा दिए.
जी हां, ये शंकाएं इसलिए हैं क्योंकि सरकार की तरफ से कुछ भी साफ नहीं किया गया. रविवार शाम को जो पहला बयान जारी हुआ उसमें कहा गया था, 'दौलतबेग गोल्डी इलाके से दोनों ही देशों ने अपनी-अपनी फौज वापस लौटाने का फैसला किया. दोनों ही सेना वापस उसी जगह चली जाएंगी जहां वो 15 अप्रैल से पहले थीं.' इसके बाद बगैर कोई खुलासा किए यही बात सोमवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अकबरुद्दीन ने भी दोहराई.
ऐसे में इन शंकाओं को बल मिल रहा है कि क्या चीन सिर्फ 20 मई से प्रस्तावित अपने प्रधानमंत्री के भारत दौरे के मद्देनजर सुलह करने को राजी हो गया? सूत्रों की मानें तो चीन बड़ी कीमत वसूलकर पीछे हटा है.
सूत्रों का कहना है कि चीनी फौज लद्दाख से इसी शर्त पर हटने को राजी हुई कि भारत चुमार से अपना पोस्ट हटा लेगा. दरअसल, पूर्वी लद्दाख के चुमार पोस्ट से भारतीय फौज चीनी हाईवे की गतिविधियों पर नजर रखती हैं. चीन बहुत पहले से भारत से चुमार का फॉरवर्ड ऑब्जर्वेशन पोस्ट हटाने की मांग करता रहा है.
साफ है कि सरकार जिसे कूटनीतिक जीत करार दे रही है, उसकी बड़ी कीमत चुकाई गई है. उधर, 1962 की जंग देख चुके समजावादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव सरीखे नेता अभी भी चीन पर भरोसा करने को तैयार नहीं. उन्होंने कहा था, 'चीन पर भरोसा मत कीजिए. उसने सब देख लिया है. हमला जरूर करेगा.'
चीन को लेकर तमाम शंकाएं हैं और सरकार की चुप्पी इन शंकाओं को और गहरा कर रही है.