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भारत ने आतंकवाद के खिलाफ दक्षेस का सहयोग मांगा

भारत ने शनिवार को चेतावनी दी कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र गंभीर स्थिति से जूझ रहा है, ऐसे में ज्यादा सुरक्षित माहौल तैयार करने के लिए दक्षेस देशों को गंभीर आतंकवादियों और उनकी सुनियोजित साजिश के बारे में एक दूसरे से जानकारी बांटनी चाहिए.

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भारत ने शनिवार को चेतावनी दी कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र गंभीर स्थिति से जूझ रहा है, ऐसे में ज्यादा सुरक्षित माहौल तैयार करने के लिए दक्षेस देशों को गंभीर आतंकवादियों और उनकी सुनियोजित साजिश के बारे में एक दूसरे से जानकारी बांटनी चाहिए.

केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने इस्‍लामाबाद में दक्षेस देशों के गृहमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘आतंकवाद का बढ़ता खतरा शांति और सुरक्षा के लिए बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है और हमारे क्षेत्र के आर्थिक विकास पर गंभीर असर डालता है.’

उन्होंने कहा, ‘आप सभी इस बात से बिल्कुल सहमत हो सकते हैं कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र गंभीर सुरक्षा स्थिति से जूझ रहा है. ऐसे में, सभी देशों के बीच पूर्ण सहयोग से ही हम अपने इस क्षेत्र में आतंकवाद के गंभीर खतरे को प्रभावी ढंग से निबट सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि इस बात पर विचार करना जरूरी होगा कि मौजूदा समझौते इस स्थिति में कितने कारगर हैं.

चिदम्बरम ने कहा, ‘हमें ज्यादा सुरक्षित माहौल तैयार करने के लिए खूंखार आतंकवादियों, आतंकवादी साजिशों तथा किसी भी अन्य प्रकार के आपराधिक गतिविधियों के बारे में एक दूसरे से सूचनाएं बांटने में सहयोग करने की जरूरत है.’ उन्होनें कहा, ‘ऐसे में हमारे लिए यह जरूरी हो जाता है कि हमारे पास जो भी उपकरण या संसाधन हैं हम उनका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यथासंभव उपयोग करें.’ {mospagebreak}

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चिदम्बरम ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष रहमान मलिक की इस बात के लिए सराहना की कि उन्होंने अपने भाषण में आतंकवाद के खतरे और खासकर न्यूयार्क के 9/11 और मुम्बई के 26/11 हमले के मुद्दे को जोर शोर से उठाया. चिदम्बरम और मलिक आपस में बातचीत की थी. बातचीत के दौरान आतंकवाद और मुम्बई आतंकवादी हमले के सरगने के खिलाफ कार्रवाई का मुद्दा छाया रहा. चिदम्बरम ने कहा कि दक्षेस देशों के गृहमंत्रियों की यह प्रमुख जिम्मेदारी है कि वे आतंकवाद, हथियारों की तस्करी, जाली नोट, मानव तस्करी आदि से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निबटने में क्षेत्रीय सहयोग सुनिश्चित करें ताकि आपसी संवाद तथा क्षेत्र के प्रगति एवं विकास के लिए अनुकूल माहौल तैयार हो.

उन्होंने सभी गृहमंत्रियों से अगस्त 2008 में हुए दक्षेस आपराधिक मामले परस्पर सहयोग समझौते के क्रियान्वयन एवं अनुमोदन की भी अपील की. उन्होंने कहा कि इस समझौते से सदस्य देशों के बीच आपराधिक एवं आतंकवादी गतिविधियों के बारे में सूचनाएं आपस में बांटने एवं उनके धन को जब्त करने में मदद मिलेगी. चिदम्बरम ने कहा, ‘इसके कार्यान्वयन से न केवल इस क्षेत्र में ज्यादा सुरक्षित माहौल तैयार करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे यह ठोस संदेश भी जाएगा कि यह क्षेत्र साझा एवं अविलंबकारी सुरक्षा चिंताओं से निबटने के लिए कटिबद्ध है.’ {mospagebreak}

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बैठक में भारत और पाकिस्तान के अलावा श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान और मालदीव के गृहमंत्री हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र समग्र अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद (रोकथाम) समझौता पूरा किये जाने पर भी बल दिया. चिदम्बरम ने घोषणा की कि भारत दक्षेस आतंकवाद निरोधक प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए जाने माने विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय बैठक की मेजबानी करेगा. इस बैठक को जनवरी, 2011 में होने का कार्यक्रम है.

उन्होंने कहा कि भारत बिना किसी लाग लपेट के दक्षेस के तहत अपनी जिम्मेदारी पूरी करने को प्रतिबद्ध है ओर वह आपराधिक जांच, मादक पदार्थ तस्करी, साइबर और आर्थिक अपराध तथा बैंक घोटाले की रोकथाम और जांच में सदस्य देशों को सहयोग करता रहेगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि साझा हितों और चिंताओं के सभी क्षेत्रों में सदस्यों के देशों के बीच परस्पर सहयोग हम सभी देशों और क्षेत्र के लिए ज्यादा सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल बनाने के लिए व्यक्तिगत एवं सामूहिक प्रयासों में कारगर होगा.’

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