खराब राष्ट्रीय कृषि वृद्धि पर अफसोस जताते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि अगर सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होते, तो भारत किसानों के देश के रूप में अपनी चमक नहीं खोता.
मोदी ने भरुच में कृषि महोत्सव में किसानों की सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘देश कृषि के मामले में पीछे जा रहा है. अगर खेदूत पुत्र (किसान पुत्र) सरदार पटेल प्रथम प्रधानमंत्री बनते तो हमारे किसानों के साथ ऐसा नहीं होता. हमने गलत रास्ता पकड़ा.’
कृषि को मजबूत बनाने की आवश्यकता का इजहार करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश के तौर पर अपनी पहचान तेजी से खो रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर हमें अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार करना है, हमारे युवाओं को रोजगार देना है और अपने गांवों को मजबूत बनाना है तो अपनी कृषि को मजबूत बनाने के सिवाय कोई और उपाय नहीं है.’
मोदी ने कहा कि समय की मांग है कि कृषि में वृद्धि दर में गिरावट के परिदृश्य को बदलने के लिए कृषि के तहत भूमि को बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाई जाए. उन्होंने कहा, ‘कैसे खेती में प्रौद्योगिकी शामिल की जाए. यह समय की मांग है. जमीन बढ़ने नहीं जा रही है. अधिक जुताई के लिए हमें अपनी उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है.’ मोदी ने कहा कि किसानों को ग्रीन हाउस फार्मिंग, टेंट हाउस और पॉली हाउस फार्मिंग जैसी आधुनिक तकनीकें अपनानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘पॉलीहाउस फार्मिंग में हम अग्रणी हैं.’
मोदी ने दावा किया कि यह ‘ऐतिहासिक उपलब्धि’ है कि गुजरात ने कृषि में दोहरे अंकों में (10 फीसदी से अधिक) वृद्धि दर्ज की है. यह राष्ट्रीय औसत का तीन गुना है. उन्होंने कहा, ‘गुजरात कृषि से कभी जुड़ा नहीं रहा था. हम सूखा उन्मुख राज्य थे. जब भी कृषि की बात होती थी तो पंजाब, हरियाणा और गंगा क्षेत्र सामने आते थे.’
मोदी ने कहा कि पूर्व में गुजरात की कृषि वृद्धि दर राष्ट्रीय दर की आधी होती थी. अगर भारत की कृषि वृद्धि दर तीन फीसदी होती थी तो गुजरात की दर 1.5 फीसदी होती थी. मोदी ने कहा, ‘लेकिन आज परिदृश्य बदल गया है. हमारी (गुजरात की) कृषि वृद्धि दर (राष्ट्र की) वृद्धि दर का तीन से चार गुना है. यह हमारे किसानों ने किया है. मैं उन्हें बधाई देता हूं.’
गुजरात की आलोचना करने वाले संगठनों पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कुछ लोग सिर्फ एक काम में व्यस्त हैं. गुजरात को लेकर कोई भी बात आए तो उसे अस्वीकार कर दें.’ उन्होंने कहा, ‘एक दिन ऐसा होगा (जब) कोई एनजीओ होगा जो कहेगा कि हम उस एनजीओ को सम्मानित करेंगे जो सबसे अधिक गुजरात को अपमानित करेगा.’
सूखे क्षेत्रों में पानी की किल्लत से निपटने के अपनी सरकार के प्रयासों पर मोदी ने कहा, ‘उमरगाम से अंबाजी तक जहां आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं वहां पानी की किल्लत है. इस बार, इसके लिए चार हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है.’ उन्होंने कहा कि जल संरक्षण असली मंत्र है क्योंकि अनेक गांव पानी की किल्लत का सामना कर रहे हैं. मोदी ने कहा, ‘उपग्रह चित्रों से हमने आदिवासी क्षेत्रों में 700 स्थानों की पहचान की है, जहां हम पानी का संरक्षण कर सकते हैं.’