जोरदार गर्मी के बीच जहां एक तरफ देश भर में लोग बेहाल हैं तो वहीं दूसरी तरफ देश के 91 प्रमुख जलाशयों में जलस्तर में हफ्तेभर के अंदर दो फीसदी की कमी दर्ज की गई है. 20 अप्रैल, 2017 को खत्म हुए सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 46.6 बीसीएम (अरब घन मीटर) जलभंडार आंका गया है. ये इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 29 प्रतिशत है. 13 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के अंत में ये दर 31 प्रतिशत थी. ये पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल जलभंडार का 133 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल भंडारण का 106 प्रतिशत है.
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो देश की अनुमानित कुल जल भंडारण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है. इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली का लाभ देते हैं.
उत्तरी भारत के जलाशयों की स्थिति
उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं. इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल भंडारण क्षमता वाले छ: जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 4.50 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 25 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की भंडारण स्थिति 22 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 30 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है, लेकिन पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से ये कमतर है.
पूर्वी भारत के जलाशयों की स्थिति
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं. इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल भंडारण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध भंडारण 8.68 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 46 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की भंडारण स्थिति 32 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत भंडारण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 32 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में भंडारण बेहतर है और ये पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत भंडारण से भी बेहतर है.
पश्चिमी भारत के जलाशयों की स्थिति
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं. इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल भंडारण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध भंडारण 9.81 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 36 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की भंडारण स्थियति 19 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत भंडारण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 35 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में भंडारण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत भंडारण से भी बेहतर है.
मध्य भारत के जलाशयों की स्थिति
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं. इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल भंडारण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध भंडारण 17.43 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 41 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की भंडारण स्थिति 29 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत भंडारण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 26 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में भंडारण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत भंडारण से भी बेहतर है.
दक्षिणी भारत के जलाशयों की स्थिति
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश (एपी), तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं. इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल भंडारण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध भंडारण 5.61 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 11 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की भंडारण स्थिति 14 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 26 प्रतिशत था. इस तरह चालू वर्ष में भंडारण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए भंडारण से कमतर है, और ये पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत भंडारण से भी कमतर है.
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल भंडारण बेहतर है उनमें पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), और तेलंगाना शामिल हैं. इसी अवधि के लिए पिछले साल की तुलना में कम भंडारण करने वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं.