नगदी के संकट से जूझ रही नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) आईएल एंड एफएस में अनियमितताओं की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हैरतअंगेज खुलासे किए हैं. ईडी ने जांच में पाया कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) चीफ राज ठाकरे ने मातोश्री रियल्टर्स कंपनी के गठन में एक भी पैसा निवेश नहीं किया. लेकिन 2008 में 20 करोड़ रुपये निकाल लिए. यह कंपनी कोहिनूर सीटीएनएल का हिस्सा थी. राज ठाकरे ने 22 अगस्त को हुई पूछताछ में ईडी के अफसरों को बताया था कि उन्होंने मातोश्री रियल्टर्स में कोई पैसा निवेश नहीं किया लेकिन वह एमएनएस नेता राजन शिरोडकर सहित कंपनी के 8 पार्टनर्स में से एक थे.
यह कंपनी केपीपीएल का हिस्सा थी, जिसमें शिवसेना नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मनोहर जोशी के बेटे उन्मेश जोशी की कंपनी और एक अन्य कंपनी पार्टनर थीं. केपीपीएल ने बाद में साल 2005 में कोहिनूर सीटीएनएल नाम से एक संगठन (कंसोर्शियम) बनाया, जिसमें केपीपीएल के 51 प्रतिशत शेयर थे. जबकि 49 प्रतिशत शेयर आईएल एंड एफएस के थे, जिन्होंने कंपनी में 225 करोड़ रुपये का निवेश किया था.
कोहिनूर CTNL एक रियलिटी क्षेत्र की कंपनी है जो पश्चिम दादर में कोहिनूर स्क्वॉयर टॉवर का निर्माण कर रही है. आईएल एंड एफएस ने अपना हिस्सा सिर्फ 90 करोड़ रुपये में बेच दिया, जिससे उसे 135 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. जबकि राज ठाकरे और उनकी सहयोगी कंपनी मातोश्री रियल्टर्स ने अपना हिस्सा बेचा और 80 करोड़ रुपये कमा लिए. 80 करोड़ में से 20 करोड़ राज ठाकरे को मिले जबकि बाकी की रकम मातोश्री रियल्टर्स के अन्य पार्टनर के पास गई.
दिलचस्प बात है कि मातोश्री रियल्टर्स ने इस संगठन में 4 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसमें से 3 करोड़ रुपये कॉपरेटिव बैंकों से लिए गए थे. जबकि 1 करोड़ दो बैंक खातों से आए. ईडी के सूत्रों ने कहा कि इस लेनदेन पर नजर बनी हुई है. जबकि संगठन में विभिन्न बैंक खातों के जरिए मातोश्री रियल्टर्स ने जो 36 करोड़ रुपये निवेश किए हैं, उन्हें संदिग्ध करार देते हुए जांच की जा रही है.
संगठन से बाहर जाने के बाद शिरोडकर के शेयर्स का पता नहीं चल पाया जैसा कि मातोश्री रियलटर्स के बाकी 6 शेयर धारकों का हिस्सा है. सोमवार को जोशी और शिरोडकर से दोबारा 7 घंटे तक पूछताछ की गई. हालांकि यह संदेह है कि संगठन के साथ जुड़े कुछ और लोग जो आईएल एंड एफएस के प्रमुख डिफॉल्टर हैं, उन्हें भविष्य में तलब किया जाएगा.