देश की राजधानी में एक ऐसी जगह है जहां सिर्फ 'साफ-सुथरे' बच्चों की ही एंट्री हो सकती है. बाकियों के लिए 'नो एंट्री' लागू है.
जमाना टर्म्स एंड कंडीशन का है - इसलिए यहां भी शर्तें लागू हैं. यहां से मतलब दिल्ली की एक अदालत परिसर में बने एक क्रेच से है. शर्तें छोटी छोटी हैं! शायद इसलिए क्योंकि मामला छोटे बच्चों का है.
एक क्रेच - जहां शर्तें लागू हैं
ये क्रेच एक ऐसे परिसर में है जहां इंसाफ के लिए लोग फरियाद लेकर आते हैं. हालांकि, ये केस सीधे अदालत से तो नहीं जुड़ा है लेकिन उसी कैंपस का है जिसमें इंसाफ का मंदिर भी बसता है.
मगर मामला उनसे जुड़ा है जिन्हें इंसाफ का मतलब भी नहीं मालूम. उनके माता-पिता दुखी हैं. दुख का कारण एक सर्कुलर है जिसे जिला अदालत के एडमिनिस्ट्रेशन ने जारी किया है.
क्या कहता है ये सरकारी फरमान? सर्कुलर में लिखा है, 'नॉर्थ वेस्ट और नॉर्थ जिले के सभी न्यायिक अफसरों और मिनिस्टीरियल स्टाफ के ढाई साल से 12 साल की बेटियों और ढाई साल से 9 साल के बेटों के लिए रोहिणी कोर्ट कॉम्प्लेक्स की तीसरी मंजिल पर क्रेच की सुविधा उपलब्ध है.'
बात सिर्फ इतनी होती तो उतनी नहीं अखरती. खास बात सर्कुलर में दी गईं शर्तें हैं जो हैरान करने वाली हैं.
"यह सुविधा स्टाफ के बच्चों को तभी मिलेगी, जब क्रेच में अफसरों के बच्चे नहीं होंगे और बच्चे साफ-सुथरे, हाइजीनिक और बीमारी रहित होंगे."
स्टाफ के बच्चों को तभी ये सुविधा मिलेगी जब यहां सीट खाली होगी. ऐसा तभी होगी जब इसमें अफसरों के बच्चे नहीं होंगे. यहां तक तो किसी को कोई एतराज नहीं होना चाहिए और न ही स्टाफ के किस सदस्य को है. आपत्ति आगे की शर्तों पर है.
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