महिला जासूसी मामले में नरेंद्र मोदी की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं. निलंबित आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर फोन ट्रांसक्रिप्ट्स की सीबीआई जांच की मांग की है. अपनी अर्जी में उन्होंने मोदी के महिला से नजदीकी संबंध होने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि वह मोदी और महिला के बीच नजदीकियों के बारे में जानते थे.
प्रदीप शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपनी अर्जी में लिखा है कि उन्होंने महिला को मोदी से 2004 में मिलवाया था और उस समय उसकी उम्र 27 साल थी. लड़की मूल रूप से भुज, गुजरात की रहने वाली है, जबकि वह बेंगलुरु में आर्किटेक्ट है. शर्मा ने अपनी अर्जी में आगे लिखा है कि मोदी लड़की से कई वर्षों तक संपर्क में रहे.
गौरतलब है कि मोदी के सौंदर्यीकरण परियोजनाओं में अहम हिल गार्डन के विकास के लिए इसी महिला आर्किटेक्ट को लैंडस्केप आर्किटेक्चर का काम सौंपा गया था. शर्मा के मुताबिक 2004 में गार्डन के उद्घाटन अवसर पर उन्होंने लड़की की मुलाकात मोदी से करवाई थी.
शर्मा अर्जी में लिखते हैं कि संबंधित महिला की एक सीडी जारी हुई थी, जिसमें महिला को एक पुरुष के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया. नरेंद्र मोदी को लगा कि इस सीडी कांड के लिए शर्मा जिम्मेदार हैं और इसलिए उन्होंने शर्मा को सजा दी.
नरेंद्र मोदी के आदेश पर की गई जासूसी: शर्मा
शर्मा ने आवेदन में लिखा है कि फोनकॉल के ट्रांसक्रिप्ट से यह स्पष्ट है कि महिला आर्किटेक्ट और उनकी जासूसी जिस व्यक्ति के आदेश पर की गई उसे अमित शाह 'साहब' बुलाते हैं. शर्मा ये भी कहते हैं, 'पिछले कुछ दिनों से बीजेपी प्रेस वार्ताओं में कई बार खुलेआम यह कह चुकी है कि उक्त जासूसी नरेंद्र मोदी ने करवाई थी. ऐसे में इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमित शाह के 'साहब' नरेंद्र मोदी ही हैं.' शर्मा ने आवेदन में लिखा है, 'यहां यह लिखना भी प्रासंगिक होगा कि श्री अमित शाह उस समय प्रदेश का गृह मंत्रालय संभाल रहे थे और इस तरह उनका पुलिस विभाग पर सीधा नियंत्रण था.
शर्मा ने आवेदन में लिखा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा टेलीग्राफ एक्ट 1985 का उल्लंघन किया गया है.