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FDI पर तटस्थ रहने वालों को इतिहास माफ नहीं करेगा: शरद यादव

लोकसभा में मत विभाजन के तहत मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर मंगलवार को शुरू हुई चर्चा को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष ने सरकार से अपने इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया और इस मुद्दे पर तटस्थ रूख अपनाने वाले राजनीतिक दलों को आगाह किया कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा.

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लोकसभा में मत विभाजन के तहत मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर मंगलवार को शुरू हुई चर्चा को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष ने सरकार से अपने इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया और इस मुद्दे पर तटस्थ रूख अपनाने वाले राजनीतिक दलों को आगाह किया कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा.

जेडीयू अध्‍यक्ष शरद यादव ने राष्‍ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता से दो पक्तिंयां पढ़ी..
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध...

और उसके बाद उन्‍होंने सपा और बसपा की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो लोग इस मामले में तटस्‍थ रहेंगे इतिहास उनका भी अपराध लिखेगा.

माकपा ने बासुदेव आचार्य ने सरकार के इस दावे को गलत बताया कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से किसानों और खुदरा क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत एफडीआई से किसानों और छोटे दुकानदारों का ही सबसे अधिक अहित होगा.

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उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से अगर रोजगार के अवसर बढ़ें, उत्पादन बढ़े या देश में नयी तकनीक आए तो वाम दल भी इसका समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन चूंकि इसका उल्टा होने जा रहा है, इसीलिए वे इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं.

माकपा नेता ने सरकार के इस आरोप को गलत बताया एफडीआई मुद्दे पर वामपंथी दलों में असंगति है. उन्होंने कहा कि इस मामले में असंगति सरकार में है. उन्होंने याद दिलाया कि राजग के शासन के समय जब एफडीआई लाने का प्रयास किया गया था तब राज्यसभा में विपक्ष के नेता की हैसियत से वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसकी मुखालफत करते हुए पत्र तक लिखा था.

यही नहीं उस समय लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक प्रियरंजन दासमुंशी ने एफडीआई लाने के राजग के प्रयास को ‘राष्ट्र-विरोधी’ तक करार दिया था.

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