अमेरिका की फार्मा दिग्गज जॉनसन एंड जॉनसन भारत में हिप इम्प्लांट सर्जरी को लेकर विवादों में है. हिप इमप्लांट कराने वाले कुछ मरीजों ने केन्द्रीय स्वास्थ मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखते हुए मांग की है कि जल्द से जल्द हिप इमप्लांट की शिकायतों पर एक्सपर्ट समिति की रिपोर्ट को आम करें.
हिप इम्प्लांट के इन मरीजों के पत्र से यह भी पता चल रहा है कि देश में हजारों की संख्या में ऐसे मरीज हैं जिन्होंने बीते कुछ सालों के दौरान हिप इम्प्लांट कराया है और इसके लिए उन्होंने जॉनसन एंड जॉनसन के बनाए इम्प्लांट का सहारा लिया है. इस पत्र से यह भी सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्यों मरीजों से इस समिति की रिपोर्ट को साझा करने में इतना समय लग रहा है.
एक्सपर्ट समिति के मुताबिक जॉनसन एंड जॉनसन ने भारतीय नियामक को इस बात की सूचना नहीं दी थी कि कंपनी के हिप इम्प्लांट से ऑस्ट्रेलिया में कई मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं यह भी सूचना जॉनसन एंड जॉनसन ने 2009 में नया लाइसेंस लेते वक्त नहीं दी कि उसके हिप इम्प्लांट के मरीजों को दुनियाभर में दिक्कत हो रही है.
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जॉनसन एंड जॉनसन के एएसआर (ASR) हिप इम्प्लांट को Depuy नाम की सब्सिडियरी ने तैयार किया है. यह सब्सिडियरी 2006 से लेकर अगस्त 2010 तक भारत में 4700 एएसआर हिप इम्प्लांट बेच चुकी है. इस सब्सिडियरी को जॉनसन एंड जॉनसन ने 2010 में बंद कर दिया था. गौरतलब है कि जब कंपनी को हिप इम्प्लांट की तीन सौ से अधिक शिकायतें मिली तब उसने हेल्पलाइन सेवा शुरू करते हुए कई मरीजों की रीसर्जरी की. इसके बावजूद मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.
कई वर्षों तक जॉनसन एंड जॉनसन के इन मरीजों के चले संघर्ष के बाद पिछले साल केन्द्र सरकार ने जांच का आदेश देते हुए एक्सपर्ट समिति का गठन किया था. इस समिति ने मरीजों को 20 लाख रुपये के मुआवजे का खाका तैयार किया. वहीं यह मुआवजा भी ऐसे मरीजों को दिया जाना है जिन्होंने पहले हिप इम्प्लांट की शिकायतों के बाद रिवीजन सर्जरी भी कराई हो और दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.
इंडिया टुडे ने ऐसे कुछ मरीजों से बात की जिन्होंने बीते एक दशक के दौरान हिप इम्प्लांट कराया है. ऐसी ही एक मरीज के परिजनों ने बताया कि एक्सपर्ट समिति भारत में मरीजों को महज 20 लाख रुपये देने की बात कर रही है. जबकि अन्य देशों में इससे बड़ी रकम जॉनसन एंड जॉनसन हिप इम्प्लांट की शिकायत वाले मरीजों को दे रही है. एक ऐसे ही मामले में अमेरिकी कोर्ट ने जॉनसन एंड जॉनसन को लगभग 50 करोड़ से अधिक मुआवजा देने का फैसला सुनाया था.
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भारतीय मरीजों के परिजनों का कहना है कि जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ क्रिमिनल केस दायर किया जाना चाहिए. इससे अधिक मुआवजे के लिए हिप इम्प्लांट से परेशान मरीज कोर्ट का दरवाजा खटखटा सके. वहीं इसके लिए यह भी जरूरी है कि उन्हें जल्द से जल्द एक्सपर्ट समिति की रिपोर्ट दी जाए और रिपोर्ट को आम किया जाए जिससे लोग जान सकें कि जॉनसन एंड जॉनसन ने सरकार को गुमराह करते हुए भारतीय मरीजों के साथ यह खिलवाड़ किया है.
गौरतलब है कि देश में दवाओं के निर्माण, बिक्री और डिस्ट्रीब्यूशन की नियामक ने जॉनसन एंड जॉनसन के इस एएसआर इम्प्लांट का लाइसेंस 2012 में स्थगित कर दिया था. हालांकि इन शिकायतों के बावजूद कंपनी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया. अब केन्द्रीय स्वास्थ मंत्री जेपी नड्डा का कहना है कि वह मामले को देख रहे हैं.