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गुजरात दंगे: एसआईटी का नरेंद्र मोदी को समन

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल ने उनसे पूछताछ करने के लिए पहली बार सम्मन जारी करते हुए उन्हें 21 मार्च को अपने समक्ष उपस्थित होने को कहा.

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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल ने उनसे पूछताछ करने के लिए पहली बार सम्मन जारी करते हुए उन्हें 21 मार्च को अपने समक्ष उपस्थित होने को कहा.

गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के 8 साल बाद इस अपमान का सामना करने वाले मोदी किसी राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्हें किसी आपराधिक शिकायत के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया गया है. मोदी और उनके प्रशासन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने यहां के एक इलाके में दंगों में सहायता की और उसे भड़काया. यह सम्मन पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की शिकायत पर जारी किया गया.

गुलबर्ग सोसाइटी में हुए दंगों में जाफरी और 69 अन्य लोगों की हत्या कर दी गई थी. एसआईटी प्रमुख आर के राघवन ने कहा, ‘हमने मुख्यमंत्री (मोदी) को 21 मार्च को अपने समक्ष उपस्थित होने को कहा है.’ एसआईटी दंगों से जुड़े कुछ मामलों की नए सिरे से जांच कर रही है. उन्होंने कहा, ‘उन्हें जाकिया जाफरी की शिकायत पर पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा गया है.’

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गौरतलब है कि गोधरा कांड के बाद राज्यभर में हुए दंगों में 1000 से अधिक लोग मारे गए थे. राघवन ने उस सवाल को काल्पनिक कहकर खारिज कर दिया कि क्या मोदी एसआईटी के समक्ष उपस्थित होने के लिए कानूनन बाध्य हैं. जाकिया ने अपनी 100 पन्नों की शिकायत में मोदी और 62 अन्य पर साजिश करने का आरोप लगाया था. इनमें मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और वरिष्ठ नौकरशाह भी शामिल हैं. {mospagebreak}

शिकायत में तत्कालीन गृह मंत्री गोवर्धन जदाफिया, स्वास्थ्य मंत्री अशोक भट्ट और नगर पुलिस आयुक्त पी सी पांडे का भी नाम लिया गया है. फिलहाल मोदी या राज्य सरकार की ओर से इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. जाकिया ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा. यह लंबा सफर रहा है. मैं खुश हूं कि मोदी को सम्मन जारी किया गया है.’ राघवन ने कहा कि एसआईटी अप्रैल के अंत तक दंगा मामलों में से कुछ के संबंध में अपनी जांच रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंपेगी.

उन्होंने इस सवाल को टाल दिया जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या मोदी के सम्मन का जवाब दे देने के बाद एसआईटी जांच समाप्त हो जाएगी. उन्होंने कहा, ‘संभवत: हां, लेकिन जरूरी नहीं है.’ राघवन ने कहा, ‘हमने कई गवाहों का परीक्षण किया है, जिन्होंने साक्ष्य दिया है और मोदी के खिलाफ भी आरोप लगाए हैं. हमें उन साक्ष्यों को मोदी के समक्ष रखना है. हम उन आरोपों का जवाब देने और जवाब हासिल करने के लिए उन्हें एक मौका दे रहे हैं.’ राघवन ने कहा, ‘एसआईटी जांच के अंत के करीब पहुंच गई है.’

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उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमें नैसर्गिक तौर पर मोदी से पूछना था कि हमने जो सूचना एकत्र की है उसपर उनका क्या सोचना है.’ एसआईटी जाकिया की शिकायत पर पहले ही जदाफिया, भाजपा नेता आई के जडेजा, पूर्व आईपीएस अधिकारी आर बी श्रीकुमार, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, आईजी शिवानंद झा, कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और नेताओं का बयान दर्ज कर चुकी है. {mospagebreak}

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अप्रैल में एसआईटी से जाकिया की शिकायत की जांच करने को कहा था. न्यायालय ने एसआईटी का गठन गोधरा ट्रेन अग्निकांड और गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के आठ अन्य मामलों की जांच के लिए किया था. न्यायालय ने एसआईटी से जाफरी की शिकायत की जांच करने और तीन महीने में रिपोर्ट सौंपने को कहा था.

पिछले साल जुलाई में गुजरात उच्च न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें 2002 में हुए दंगों के दौरान मोदी और 62 अन्य के खिलाफ एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को चुनौती दी गई थी. भाजपा के पूर्व विधायक कालू मालिवाड (शिकायत में नामित 62 लोगों में से एक) ने गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जाकिया की शिकायत पर एसआईटी की ओर से की जा रही जांच पर रोक लगाने की मांग की थी.

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