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खाद्य विधेयक: मौजूदा खाद्यान्न आवंटन को बरकरार रखेगी सरकार

खाद्य विधेयक के प्रावधानों पर विभिन्न राज्यों की आपत्तियों के बाद केन्द्र ने गुरुवार को आश्वस्त किया कि वह संशोधित विधेयक में अंत्योदय अन्न योजना और मौजूदा खाद्यान्न आवंटन व्यवस्था को जारी रखेगा. इस विधेयक के संसद के बजट सत्र में प्रस्तुत किये जाने की संभावना है.

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खाद्य विधेयक के प्रावधानों पर विभिन्न राज्यों की आपत्तियों के बाद केन्द्र ने गुरुवार को आश्वस्त किया कि वह संशोधित विधेयक में अंत्योदय अन्न योजना और मौजूदा खाद्यान्न आवंटन व्यवस्था को जारी रखेगा. इस विधेयक के संसद के बजट सत्र में प्रस्तुत किये जाने की संभावना है.

मौजूदा समय में एएवाई के तहत अति निर्धन लोगों को प्रति परिवार प्रति माह 35 किग्रा खाद्यान्न प्राप्त होता है जिसमें उसे दो रुपये किलो की दर से गेहूं और तीन रुपये किलो की दर से चावल मिलता है.

खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने संवाददाताओं से कहा, राज्यों के साथ हमारी लंबी बातचीत हुई. तमिलनाडु को छोड़कर बाकी राज्यों ने अपने सुझावों के साथ विधेयक का स्वागत किया. राज्यों का मानना है कि एएवाई को बचाए रखने की आवश्यकता है. हम भी ऐसा ही मानते हैं.

थॉमस ने कहा कि केन्द्र ने अभी तक खाद्यान्न की निश्चित मात्रा का कानूनी अधिकार देने के बारे में अपने नजरिये को सुदृढ़ नहीं किया है कि यह मात्रा प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किग्रा हो या 7 किग्रा की. उन्होंने कहा, ये नीतिगत निर्णय हैं और वार्ता के बाद ही इनपर विचार किया जायेगा.

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संसदीय समिति ने एकल श्रेणी का सुझाव दिया है जहां प्रति व्यक्ति प्रति माह एकसमान दर पर 5 किग्रा खाद्यान्न आवंटन किया जाये. इसमें गेहूं के लिए 2 रुपये प्रति किग्रा और चावल के लिए 3 रुपये प्रति किग्रा की एकसमान दर होगी. जबकि केन्द्र ने प्राथमिकता वाले परिवारों के लिए प्रति व्यक्ति 7 किग्रा खाद्यान्न आवंटन का प्रस्ताव किया है जबकि आम परिवारों को समर्थन मूल्य से आधी कीमत पर प्रति व्यक्ति 3 किलोग्राम खाद्यान्न देने का प्रस्ताव किया गया है.

विधेयक के दायरे में आने वाली आबादी के प्रतिशत और खाद्यान्नों पर सब्सिडी दर के बारे में थॉमस ने कहा, इन मुद्दों पर कोई विवाद या मतभेद नहीं है. थॉमस ने कहा, व्यापक तौर पर पीडीएस के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी आती है जो कुल आबादी का 67 प्रतिशत है और राज्यों को यह लगभग स्वीकार्य है.

लाभार्थी निर्धारित करने के लिए मापदंड तय करने का अधिकार राज्यों पर छोड़ने की उनकी मांग पर थॉमस ने कहा, उन्हें स्वतंत्रता दी जायेगी. हालांकि उन्होंने कहा कि विधेयक के तहत आबादी के कौन से हिस्से को जोड़ना है अथवा बाहर रखना है, इसे राज्यों द्वारा तय किये जाने की जरुरत है.

अगर इस विधेयक को लागू किया गया तो खाद्य सब्सिडी खर्च 20,000 करोड़ रुपये बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये हो जायेगा. खाद्य विधेयक के कारण खाद्यान्न आवश्यकता मौजूदा 5.5 करोड़ टन से बढ़कर छह से 6.2 करोड़ टन हो जायेगी.

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