प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय खाद्य विधेयक के तहत देश की 67 प्रतिशत आबादी को सब्सिडी पर खाद्यान्न का एकसमान कानूनी हक उपलब्ध कराने पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई है.
सूत्रों ने कहा कि बैठक में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि खाद्य विधेयक को आसानी से और जल्द लागू करने के लिए क्या 30 से अधिक विशेषज्ञों व अर्थशास्त्रियों द्वारा सुझाई गई वैकल्पिक योजना स्वीकार की जाए. यह संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी की महत्वाकांक्षी परियोजना है.
सरकार के खाद्य विधेयक के मौजूदा रूप को ‘भ्रामक, अव्यवहारिक और विभाजक’ करार देते हुए विशेषज्ञों ने देश की 67 प्रतिशत आबादी जिन्हें ‘आम लोग’ कहा जाता है, को इस विधेयक के दायरे में लाने का सुझाव दिया है.
उनका सुझाव है कि आम लोगों को 3 रुपये किलो की एक समान दर से चावल, 2 रुपये किलो की एक समान दर से गेहूं और एक रुपये किलो की एक समान दर से मोटा अनाज उपलब्ध कराया जाए.
उन्हें कम से कम 25 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराने का सुझाव देते हुए विशेषज्ञों ने सरकार को लाभार्थियों को ‘सामान्य’ और ‘प्राथमिकता’ वाले समूहों में बांटने का विचार त्यागने को कहा है.