भारत के सरकारी संगठनों की जानकारी विदेशी सर्वरों को देने के लिए साइबर हमले किये गये. लेकिन भारत को नहीं पता आखिर यह हमले किसने किये है. सरकार साइबर हमलों के अपराधियों की पहचान करने में सफल नहीं हो रही है.
हाल ही में कैबिनेट सचिव अजीत सेठ ने साइबर सुरक्षा नीति का सख्ती से पालन करने की मांग करते हुए कहा है कि कार्यालयों में साइबर डोमेन के जटिल होने की वजह से इन हमलों की सही पहचान करना मुश्किल हो गया है.
उन्होंने चेतावनी दी है कि देश के साइबर स्पेस हमलों में बढ़ोतरी हो रही है और साइबर जासूसों का इरादा देश के बाहर के सर्वरों को भारतीय संगठन की जानकारी देना है. हालांकि उन्होंने किसी भी देश का नाम नहीं लिया है.
कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम -इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत पर साइबर हमले सन् 2011 में 13,000 से बढ़कर 2014 तक 62,000 हो गये है. जिसमें अमेरिका, यूरोप ब्राजील, तुर्की, चीन , पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जीरिया जैसे देशों के साइबर स्पेस से हुए है.
सेठ ने इस तरह के हमले के लिए बुनियादी साइबर सुरक्षा नीति और विभागों के निर्देशों का पालन न करने को जिम्मेदार ठहराया है.
उन्होंने बताया कि इस साइबर हमले में लिंक के साथ एक मेल अधिकारियों को भेजा गया था. मैलवेयर न होने की वजह से अपराधियों नें कंप्यूटर की कमजोरियों का फायदा उठाया.
दरअसल कई मामलो में मैलवेयर पेन ड्राइव की तरह बाहरी मेमोरी के जरिये एक कंप्यूटर से दूसरे में डाटा पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जो आगे नेटवर्क पर दूसरे कंप्यूटरों को पहुंचाता है.
सभी विभाग के प्रमुखों से कहा गया है कि राष्ट्रीय सूचना सुरक्षा नीति, गृह मंत्रालय और साइबर सुरक्षा मंत्रालय द्वारा दिये गये निर्देश का सख्ती से पालन करें.