सीबीआई को स्वायत्तता के नाम पर लॉलीपॉप देने की तैयारी हो रही है. सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि सीबीआई को मामूली स्वायत्ता दी जा सकती है.
ग्रुप ऑफ मिनिस्टर यानी GoM सीबीआई को कुछ वित्तीय स्वायत्ता देने की सिफारिश कर सकता है. सरकार सीबीआई पर से अपना नियंत्रण खत्म करने के हक में नहीं है.
सीबीआई को स्वायत्तता के मसले पर जीओएम की अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं. इस मसले पर अटॉर्नी जनरल गुलाम वहानवती को शपथ पत्र तैयार करने को कहा गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में सौंपा जाएगा.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने सीबीआई को बाहरी प्रभाव से दूर रखने के लिए मसौदा कानून और सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाने के लिए मसौदा हलफनामा तैयार करने करने के लिए जीओएम बनाया था.
दरअसल, कोयला घोटाले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के कामकाज पर तीखी टिप्पणी की थी. न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था, 'सीबीआई पिंजड़े में बंद तोते की तरह है, जो अपने मालिक के सुर में सुर मिलाता है.' सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा द्वारा दाखिल हलफनामे पर आई थी. हलफनामे में कहा गया था कि केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोयला ब्लॉक आवंटन की जांच रिपोर्ट में खास बदलाव किए थे.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सीबीआई को स्वायत्त करने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया था और इस बाबत हलफनामा दाखिल करने को कहा था.