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देश को मिला नया सेनाध्‍यक्ष, जनरल दलबीर सिंह सुहाग बने देश के 26वें आर्मी चीफ

देश को नया सेनाध्यक्ष मिल गया है. जनरल दलबीर सिंह सुहाग देश के 26वें आर्मी चीफ बन गए. गुरुवार को साउथ ब्लॉक में उन्होंने जनरल बिक्रम सिंह से सेना की कमान ली. जनरल सुहाग ने आज सुबह अमर जवान ज्‍योति जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

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जनरल दलबीर सिंह सुहाग
जनरल दलबीर सिंह सुहाग

देश को नया सेनाध्यक्ष मिल गया है. जनरल दलबीर सिंह सुहाग देश के 26वें आर्मी चीफ बन गए. जनरल सुहाग ने आज सुबह अमर जवान ज्‍योति जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. सुहाग ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्‍योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सलामी दी. श्रद्धांजलि के बाद पत्रकारों से बातचीत में सुहाग ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि सिर काटने जैसी किसी घटना पर भारत की प्रतिक्रिया पर्याप्त से अधिक, प्रबल और तत्काल होगी. सुहाग ने कहा कि वो सीमा पर हर तरह के हमले का करारा और तुरंत जवाब देने के लिए तैयार हैं. उन्‍होंने कहा कि सैनिकों की सहूलियत पर भी उनका फोकस होगा. साउथ ब्लॉक के बाहर जनरल सुहाग को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

जानिए, नए आर्मी चीफ के बारे में

इससे पहले गुरुवार को साउथ ब्लॉक में उन्होंने जनरल बिक्रम सिंह से सेना की कमान ली. जनरल सुहाग 30 महीने तक देश के सेनाध्यक्ष रहेंगे. 59 साल के जनरल सुहाग सेना के काफी तेज-तर्रार अफसर रहे. नेशनल डिफेंस एकेडमी से निकलने के बाद वो गोरखा राइफल्स से जुड़ गए. 1987 में कंपनी कमांडर की हैसियत से उन्होंने श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन पवन में भी हिस्सा लिया.

करगिल युद्ध में उन्होंने हिस्सा तो नहीं लिया. लेकिन साल 2007 में वो करगिल मोर्चे पर जरूर डटे हुए थे. करगिल में 53 इनफेंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व उन्होंने हाथ में था. उनके पिता का कहना है कि करिगल की पहाड़ियों पर वो दौड़ते हुए चढ़ जाते थे.

पिछले दिसंबर महीने में उन्हें वाइस आर्मी स्टाफ बनाया गया था. इससे ठीक पहले वो ईस्टर्न आर्मी कमांडर थे. जनरल सुहाग के पास सेना के तकरीबन सभी वीरता मेडल हैं. मसलन परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल.

नियुक्ति और विवाद
जनरल सुहाग को आर्मी चीफ बनना विवादों से घिरा रहा. साल 2012 में जनरल वीके सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल रहे दलबीर सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी. ये कार्रवाई असम में एक खुफिया अभियान के सिलसिले में हुई थी. जनरल सुहाग उस वक्त 2 कोर कमांडर की भूमिका में थे. मई 2012 में सेना प्रमुख बनते ही जनरल बिक्रम सिंह ने सुहाग पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया. इसके बाद सुहाग के सेनाध्यक्ष बनने का रास्ता साफ हो गया.

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यूपीए सरकार ने जनरल सुहाग को सेना प्रमुख बनाने का फैसला कर लिया था. हालांकि इस पर भी कई सवाल उठे. उस वक्त विपक्ष ने कहा कि नए सेनाध्यक्ष पर पैसला नई सरकार पर छोड़ देना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में भी सुहाग की नियुक्ति को रोकने वाली याचिका डाली गई थी. लेकिन मोदी सरकार ने इस पर सुनवाई के वक्त पूर्व सेनाध्याक्ष वीके सिंह की कार्रवाई को अवैध बता दिया. इसी के बाद वीके सिंह ने तल्ख बयान दिए. उन्होंने यहां तक ट्वीट किया था कि 'रक्षा मंत्रालय ने वही ऐफिडेविट दिया है जो आर्म्ड फोर्सेस ट्राइब्यूनल को 'बचाने वाली और धूर्त' यूपीए सरकार ने दिया था. इसमें नया क्या है?'

चुनौतियां
जनरल सुहाग ने ऐसे वक्त में सेना की बागडोर संभाली है जब सेना बदलाव के दौर से गुजर रही है. उनके पास सेना को आधुनिक और हाईटेक बनाने की चुनौती भी है. चीन और पाकिस्तानी मोर्चे पर डटे रहने की मजबूरी भी जनरल सुहाग के सामने है. आतंकवाद का राक्षस भी मुहं बाए खड़ा है. चाहे वो आतंरिक आतंकवाद हो या फिर सीमापार का आतंकवाद.

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