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जीरो डिग्री तापमान में भिड़े सैनिक! जानें कैसा रहता है गलवान घाटी का मौसम

Galwan Valley Temperature: गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए. हिंसक झड़प में चीन के भी कई सैनिक हताहत हुए हैं. दरअसल, गलवान घाटी में जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, उसकी ऊंचाई करीब 14000 फीट है.

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Galwan Valley Temperature Clash On LAC Between India China Soldiers (तस्वीर- Getty)
Galwan Valley Temperature Clash On LAC Between India China Soldiers (तस्वीर- Getty)

  • 14000 फीट की ऊंचाई पर भिड़े सैनिक
  • गला देने वाले तापमान में हुआ संघर्ष

गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए. हिंसक झड़प में चीन के भी कई सैनिक हताहत हुए हैं. दरअसल, गलवान घाटी में जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई उसकी ऊंचाई करीब 14000 फीट है और वहां तापमान शून्य से नीचे रहता है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई को सेना से मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार को अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में हुई हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हो गए. दरअसल, यह वो इलाका है जहां भीषण गर्मी के मौसम में भी तापमान शून्य या उससे नीचे रहता है.

दिसंबर-जनवरी के महीनों में गलवान घाटी का तापमान -20 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. गला देने वाली ठंड में भी जवान सीमा की सुरक्षा में यहां तैनात रहते हैं. इस दौरान उन्हें बर्फीले तूफान और हिमस्खलन का सामना करना पड़ता है.

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दुनिया के सबसे मुश्किल युद्ध क्षेत्र में तैनात रहने वाले इन भारतीय जवानों को खास तकनीक से बनी किट दी जाती है, जिसकी मदद से वो खुद को इस जानलेवा मौसम में भी जीवित रखते हैं. उन्हें दी जाने वाली किट में थर्मल इंसोल, चश्मे, सोने के लिए किट, कुल्हाड़ी, जूते, हिमस्खलन पता लगाने वाले यंत्र और पर्वतारोहण का सामान शामिल है.

गलवान घाटी और लद्दाख के शहरी इलाकों के तापमान में जमीन-आसमान का अंतर पाया जाता है. जहां गलवान में पारा जीरो से नीचे है वहीं लद्दाख के शहरी इलाकों में तापमान 12 डिग्री है.

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हिंसक झड़प में चीनी सेना का कमांडिंग अफसर भी मारा गया, 40 से ज्यादा हताहत

बता दें कि 1967 के बाद यह पहली बार है जब दोनों सेनाओं के बीच इतना बड़ा टकराव हुआ है. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गए थे. इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समग्र समीक्षा की गई. यह समझा जा रहा है कि भारत ने 3500 किलोमीटर की सीमा पर चीन के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए दृढ़ रुख जारी रखने का फैसला किया है.

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