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कोलगेटः CBI की नई FIR, नवीन जिंदल और दसारी का नाम

कोयला घोटाले में कांग्रेस के सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. सीबीआई ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.

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कोयला घोटाले में कांग्रेस के सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. सीबीआई ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.

सोमवार सुबह जिंदल स्टील के करीब 15 दफ्तरों पर छापेमारी चल रही है. जिंदल स्टील के मालिक हैं नवीन जिंदल. कोयला घोटाले को लेकर सीबीआई ने नई एफआईआर दर्ज की है. नई एफआईआर में नवीन जिंदल के अलावा पूर्व कोयला राज्यमंत्री दसारी राव का भी नाम है.

आरोप है कि सरकारी गाइडलाइंस का उल्लंघन करके जिंदल को कोल ब्लॉक दिया गया था. दसारी राव की कंपनी का नाम सौभाग्य मीडिया है. कोल ब्लॉक आवंटन झारखंड में किया गया था. सेक्शन 120 B, 420 के तहत केस दर्ज किया गया है.

कोयला मंत्रालय ने 11 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया
कोयला मंत्रालय ने जेएसपीएल, मोनेट इस्पात, एनटीपीसी तथा जीवीके पावर समेत 11 कोयला कंपनियों को आवंटित खदानों का विकास समय पर न करने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया. नोटिस में उनसे उत्पादन में देरी के कारण के बारे में स्पष्टीकरण मांगे गये हैं. ऐसा नहीं करने पर खदानों का आवंटन रद्द किया जा सकता है.

कोयला मंत्रालय ने कारण बताओ नोटिस जारी करने की तिथि से 20 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है. नोटिस में उनसे पूछा गया है कि कोयला खदान के विकास में देरी को क्यों न नियम एवं शर्तों का उल्लंघन माना जाए.

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जिन कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है, उसमें जयप्रकाश एसोसिएट्स, बिड़ला कारपोरेशन, जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जेएसपीएल), एनटीपीसी, मोनेट इस्पात तथा जीवीके पावर शामिल हैं. नोटिस 10 कोयला खदानों के लिये जारी किया गया हैं जिसमें उत्कल-बी1, पकरी बरवाडीह तथा उत्तरी मांडला कोयला खदान शामिल हैं.

इस बारे में संपर्क किये जाने पर कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले महीले अंतर-मंत्रालयी समिति की बैठक में 30 कोयला खदान आवंटियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय किया गया. 11 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करना उसी निर्णय का हिस्सा है.

सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आवंटित खदानें लंबे समय अनुत्पादक नहीं रहे. इसी के तहत ये कदम उठाये जा रहे हैं. पिछले साल सरकार ने 58 कोयला खदान आवंटियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उनमें से कुछ कंपनियों के खदानों का आवंटन रद्द कर दिया था. कुछ कंपनियों की बैंक गारंटी भी काटी गयी.

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