लोकसभा ने मंगलवार को मामूली संशोधनों के साथ वित्त विधेयक 2013-14 पारित कर दिया. विधेयक बिना बहस पारित हुआ, क्योंकि इस दौरान कोलगेट का विरोध करते हुए विपक्षी पार्टियां सदन से बाहर चली गईं. विधेयक में 12 मामूली संशोधन किए गए. सबसे महत्वपूर्ण संशोधन कृषि भूमि पर संपत्ति कर से संबंधित है. संशाधन विधेयक के मुताबिक, कृषि भूमि पर कोई संपत्ति कर नहीं लगेगा.
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट भाषण में शहरी क्षेत्रों के चारों ओर 8 किलोमीटर के दायरे में पड़ने वाली कृषि भूमि के मूल्य पर एक फीसदी संपत्ति कर लगाने का प्रस्ताव रखा था.
विधेयक पर मतदान होने से पहले चिदंबरम ने लोकसभा में कहा, 'चिंता जताई जा रही थी कि संपत्ति कर कृषि भूमि पर लगाया जा रहा है. मैं यह स्पष्ट कर दूं कि यूपीए की नीति कृषि भूमि पर संपत्ति कर लगाने की नहीं है.' विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया.
विधेयक पारित होने के साथ ही 28 फरवरी को वित्त मंत्री के बजट भाषण के साथ शुरू हुई बजटीय प्रक्रिया पूरी हो गई. इस विधेयक को अब राज्यसभा में भेजा जाएगा. इसके बाद उसे अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा.
राज्यसभा इस विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रख सकती है, लेकिन इसमें संशोधन नहीं कर सकती, क्योंकि यह धन विधेयक है. विधेयक के पारित होने के बाद चिदंबरम ने संवाददाताओं से बात में उम्मीद जताई कि वित्त विधेयक 2013-14 पर राज्यसभा में बहस होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि राज्यसभा में इस पर बहस होगी या नहीं, लेकिन मैं इस पर बहस चाहूंगा.' लोकसभा में वित्त विधेयक का बिना बहस पारित होना एक दशक में ऐसी पहली घटना है.
चिदंबरम ने कहा कि साल 2004-05 का वित्त विधेयक भी बिना बहस पारित हुआ था.
लोकसभा अध्यक्ष द्वारा आमंत्रित व्यापार सलाहकार समिति में सरकार और विपक्ष के समझौते पर पहुंचने के बाद विधेयक पारित हुआ. बीजेपी सोमवार को संवैधानिक संकट से बचने के लिए विधेयक को मंजूरी देने पर सहमत हुई थी.
वित्त विधेयक को प्रस्तुत किए जाने के बाद 75 दिनों के भीतर संसद के दोनों सदनों से पारित कराना होता है और इसके बाद इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते हैं. इसकी समय सीमा 14 मई को पूरी हो रही थी.
लोकसभा में पारित होने के बाद इस विधेयक को राज्यसभा में 14 दिनों के भीतर पारित कराना होता है. इसके बाद राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर करते हैं.