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खनन में भ्रष्टचार से तंग आ गया हूं: कर्नाटक के राज्यपाल

कर्नाटक में भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने मंगलवार को खनन घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया तथा उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि उन्होंने पक्षपातपूर्ण ढंग से राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की है.

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कर्नाटक में भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने मंगलवार को खनन घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया तथा उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि उन्होंने पक्षपातपूर्ण ढंग से राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की है.

भाजपा की ओर से निशाना बनाए जा रहे भारद्वाज ने संवाददाताओं से कहा ‘मैं खनन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों से तंग आ चुका हूं.’ उन्होंने विसूचित भूमि में भ्रष्टाचार और जमीन हथियाने की मीडिया में आई खबरों का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा ‘जिन लोगों को जनता ने चुना है, वे कर्नाटक में शासन नहीं कर रहे हैं.’

भाजपा की ओर से उन्हें कांग्रेस के एजेंट की तरह काम करने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए भारद्वाज ने कहा कि भाजपा अब उनकी सिफारिशों पर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है. उन्होंने कहा, ‘इसका जबाव कर्नाटक सरकार को देना है. मैं राज्यपाल हूं, मेरा दायित्व कर्नाटक की जनता की सेवा करना है. राजनीतिक दलों या अन्य किसी व्यक्ति की नहीं.’ {mospagebreak}

भारद्वाज ने कहा, ‘मेरा जन्म कर्नाटक में नहीं हुआ है. लेकिन कर्नाटक ने राज्य के प्रमुख राज्यपाल के तौर पर मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी है. अगर मैं इसमें विफल रहता हूं तो मैं विधायक, सांसद और राज्यपाल के रूप में अपने पूरे कैरियर और जीवन के विपरीत जाउंगा.’ उन्होंने कहा कि कर्नाटक में डेढ वर्ष का उनका कार्यकाल काफी निराशाजनक और क्षुब्ध करने वाला रहा है और पिछले वर्ष राज्य के उत्तरी क्षेत्र में बाढ़ से प्रभावित लोगों को अभी तक मकान नहीं मिला है.

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राज्यपाल ने कहा ‘केंद्र की ओर से 1,400 करोड़ रुपये धन भेजा गया. यह पैसा कहां गया. मैं विधानसभा में नहीं जा सकता और इस पर चर्चा नहीं कर सकता.’ उन्होंने कहा कि वह जीवन के ऐसे पड़ाव पर पहुंच गए हैं जहां वह पूरी तरह से संतुष्ट हैं और पद उनके लिए कोई मायने नहीं रखते हैं. भारद्वाज ने कहा, ‘जब रेड्डी बंधुओं ने विद्रोह कर विधायकों को बंधक बनाया था, तब क्या उन्होंने किसी को अयोग्य ठहराया था.

उन्हें प्रोन्नत किया गया. यहां किसी तरह की राजनीति करने की बात नहीं है, बल्कि सरकार विफल हो गई है.’ उन्होंने कहा, ‘जब रेड्डी बंधुओं ने 50 विधायकों को बंधक बनाया था तब मुख्यमंत्री की आंखों में आंसू थे. मेरी सहानुभूति भी उनके साथ थी क्योंकि कर्नाटक की जनता ने उन्हें दोबारा चुनकर भेजा था. मैंने उस समय ऐसा कुछ नहीं किया जो विद्रोह को बढ़ावा देता हो.’

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