Budget 2020: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को कमजोर करने का प्रयास करार दिया. बजट सत्र के शुभारंभ के मौके पर शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि विरोध के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा, समाज और देश को कमजोर करती है.
मोदी सरकार के फ्यूचर प्लान के बारे में बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मेरी सरकार का स्पष्ट मत है कि पारस्परिक चर्चा-परिचर्चा तथा वाद-विवाद लोकतंत्र को और सशक्त बनाते हैं. विरोध के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा, समाज और देश को कमजोर करती है.
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— आज तक (@aajtak) January 31, 2020
'महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया'
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, 'मुझे प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है. मैं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करता हूं और विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का भी आग्रह करता हूं.'
महात्मा गांधी को याद करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं. उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है.
बापू के विचार को आगे बढ़ायाः राष्ट्रपति
उन्होंने आगे कहा कि बापू के इस विचार का समर्थन करते हुए, समय-समय पर अनेक राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने भी इसे आगे बढ़ाया. हमारे राष्ट्र निर्माताओं की उस इच्छा का सम्मान करना, हमारा दायित्व है.
संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है — राष्ट्रपति कोविन्द pic.twitter.com/NzpQe6uj7H
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सीएए पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मेरी सरकार यह फिर स्पष्ट करती है कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं.
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उन्होंने आगे कहा कि किसी भी पंथ का व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को पूरा करके, भारत का नागरिक बन सकता है. शरणार्थियों को नागरिकता देने से किसी क्षेत्र और विशेषकर नॉर्थ ईस्ट पर कोई सांस्कृतिक प्रभाव न पड़े, इसके लिए भी सरकार ने कई प्रावधान किए हैं.