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सुकमा ऑपरेशन के दौरान ड्रोन ने दिया धोखा, CRPF ने MHA से की शिकायत

छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को हुए नक्सली हमले के बारे में नया खुलासा हुआ है. खबर है कि जिस वक्त सुकमा में ऑपरेशन चल रहा था, उस वक्त एनटीआरओ के मानव रहित विमान ड्रोन ने सीआरपीएफ को धोखा दे दिया.

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(रायपुर में मंगलवार को शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते गृह मंत्री राजनाथ सिंह)
(रायपुर में मंगलवार को शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते गृह मंत्री राजनाथ सिंह)

छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को हुए नक्सली हमले के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है. सुकमा ऑपरेशन के दौरान केंद्र सरकार की दो एजेंसियों के बीच तालमेल का अभाव दिखा. खबर है कि जिस वक्त सुकमा में सुरक्षा बल नक्सलियों से लोहा ले रहे थे, उस वक्त एनटीआरओ के मानव रहित विमान यानी ड्रोन ने सीआरपीएफ को धोखा दे दिया.

अपने जांबाजों की शहादत की खबर सुनकर सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के होश उड़ गए. आला अधिकारियों ने एनटीआरओ की इस हरकत को गंभीरता से लिया है और गृह मंत्रालय से इसकी शिकायत की है. सीआरपीएफ के एक सीनियर अफसर ने बताया, 'हम इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं. मंत्रालय को इसके बारे में बता दिया गया है.'

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीआरपीएफ ने एक दिसंबर यानी सोमवार के लिए सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक सुकमा में निगरानी के लिए एक ड्रोन विमान की मांग की थी. पैरामिलिट्री फोर्स ने इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी और करीब पखवाड़े भर से उनके खि‍लाफ चल रहे ऑपरेशन के मद्देनजर यह मांग रखी थी. इजराइल में बने मानव रहित विमान 'हेरोन' को सुकमा ऑपरेशन के बाद झारखंड जाना था क्योंकि अगले दिन वहां दूसरे चरण के चुनाव थे. इसके बाद ही इसे बेगमपेट एयरपोर्ट पर लौटना था.

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एक सूत्र ने बताया, 'यह ड्रोन विमान दोपहर तक सुकमा पहुंचा और करीब डेढ़ बजे वहां से चला गया. एनटीआरओ का कहना है कि ड्रोन में ईंधन की कमी थी और इसे हैदराबाद पहुंचने के लिए 90 मिनट से ज्यादा की उड़ान भरनी थी.' सीआरपीएफ के अफसर उस वक्त हैरान रह गए जब ड्रोन के प्लान में एकाएक बदलाव कर दिया गया. सूत्र के मुताबिक, 'हमने एनटीआरओ से कहा कि वो झारखंड की फ्लाइट कैंसिल कर दे और सुकमा के ऊपर ही ड्रोन को उड़ने दें. लेकिन हमारी एक नहीं सुनी गई. ऐसे नाजुक हालात में कोई ड्रोन को कैसे लेकर जा सकता है.'

यह मानव रहित विमान बस्तर के घने जंगलों में सुरक्षा बलों के लिए काफी मददगार है क्योंकि यह जहां उड़ान भरता है वहां के लोकेशन की लाइव इमेज देता है. इससे सुरक्षा बलों को नक्सलियों के ठिकानों का पता लगाने में काफी मदद मिलती है. एनटीआरओ के इस विमान को वायु सेना के पायलट उड़ाते हैं जो इस खुफिया एजेंसी में डेप्युटेशन पर होते हैं. एनटीआरओ में पायलटों की कमी है. इस वजह से हेरोन विमान 18 घंटे तक ही ऑपरेट कर पाता है.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि सीआरपीएफ और एनटीआरओ के बीच तकरार हुई है. इससे पहले पूर्व गृह सचिव और अब बीजेपी सांसद आर के सिंह ने एनटीआरओ पर भरोसा नहीं करने के लिए लिखित में दिया था. उन्होंने सीआरपीएफ के लिए अपना ड्रोन विकसित करने की मांग की थी. इसके बावजूद, नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सुरक्षा बलों को एनटीआरओ के ड्रोन के आसरे ऑपरेशन करना पड़ता है. आपको बता दें कि सीआरपीएफ केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आता है जबकि एनटीआरओ कैबिनेट सचिवालय और पीएमओ के तहत आता है.

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